छत्तीसगढ़ के जगदलपुर शहर में एक युवा की चर्चा आजकल जोरों पर है । चाय की गुमटी चलाने वाले इस युवा की कहानी कई युवाओं को, समाज को अब प्रेरित करने लगा है। दरअसल बेसहारा लोगों का सहारा बने इस युवा का नाम अशोक जायसवाल है जो महारानी अस्पताल के सामने चाय की गुमटी चलाते हैं। इनकी गुमटी का नाम "डॉक्टर चायवाला" है जो बस्तर में और बस्तर के बाहर भी काफी फेमस हो चुका है। हालांकि इस युवा ने कोई डॉक्टरी की पढ़ाई नहीं की है और ना ही डॉक्टरी की कोई डिग्री ली है, लेकिन सभी उसे डॉक्टर चायवाला के नाम से ही अब जानते हैं।
आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद अगर किसी मनुष्य में अच्छी नियत हो तो वह लोगों की मदद कर सकता है। ऐसा ही कुछ संदेश देने का काम अशोक जायसवाल कर रहे हैं। जगदलपुर में डॉक्टर चायवाला के नाम से फेमस अशोक जायसवाल आर्थिक रूप से कमजोर और बेसहारा लोगों को नि:शुल्क दवाइयां मुहैया करवाते हैं। इसके साथ ही उनके द्वारा अस्पताल में गरीब महिलाओं को प्रसव के बाद दूध और जरुरी चीजें भी नि:शुल्क मुहैया करवाई जाती हैं । अशोक जायसवाल ने हमें बातचीत में बताया कि वे मुलतः प्रयाग राज के हैं और रोजी रोटी के सिलसिले में किस्मत उन्हें इस शहर तक खींच कर ले आयी है । जगदलपुर शहर के महारानी अस्पताल के सामने वे 2015 से अपनी चाय की गुमटी चला रहे हैं।
जरूरतमंदों की सही पहचान करने एवं उन्हें नि:शुल्क दवाई, दूध एवं गर्म पानी वितरित करने के लिए वे बाकायदा महारानी अस्पताल के डॉक्टरों से संपर्क करते हैं ।अपनी सीमित आय के बावजूद डॉक्टरों की सिफारिश पर अशोक जायसवाल गरीब और असहाय मरीजों को अपनी ओर से नि:शुल्क दवाई, दूध एवं गर्म जल पिछले कई सालों से मुहैया करवा रहे हैं।चाय की गुमटी से प्राप्त अपनी सीमित आमदनी में से हर माह 2 हजार रुपये निर्धन लोगों की मदद के लिए वे नियमित लगाते हैं और उनका कहना है कि उन्हें ऐसा करना बहुत अच्छा लगता है।
अनुग्रह की ओर से रमेश शर्मा की डॉक्टर चायवाला से फोन पर एक लंबी बातचीत हुई है। इस बातचीत के बीच-बीच में कुछ प्रश्न हैं जो डॉक्टर चायवाला से पूछे गए हैं और डॉक्टर चायवाला ने उनका जवाब भी दिया है। यह एक दिलचस्प बातचीत है और इस तरह की बातचीत से ऐसे शख्स के जीवन के बारे में हमें जानकारी मिल रही है जिसके क्रियाकलापों से समाज को एक प्रेरणा मिल सकती है। इस बातचीत के अंश को आप नीचे यहां पढ़ सकते हैं-
■मैं रायगढ़ से रमेश शर्मा बोल रहा हूं ।
~"जी सर बोलिए!"
■क्या मेरी बात डॉक्टर चायवाला से हो रही है?
~"हां सर बिल्कुल!"
■आपके बारे में मैं बहुत जानता तो नहीं था पर उर्मिला आचार्य दीदी के फेसबुक वाल से आपके बारे में मुझे कल जानकारी मिली तो मुझे लगा कि आपसे बातचीत करनी चाहिए । आप व्यस्त तो होंगे पर क्या आपके पास 5-10 मिनट बातचीत के लिए है?
~"हां सर बिल्कुल । अभी दोपहर का समय है तो उतनी व्यस्तता नहीं है। आपसे बात कर सकता हूं ।"
■आपका नाम अशोक जायसवाल है। मुझे बताइए कि यदि कोई "डॉक्टर चायवाला" कहकर पुकारे तो आपको ज्यादा अच्छा लगता है या अशोक जायसवाल के नाम से ही आप ज्यादा कंफर्ट फील करते हैं?
~"सर जब कोई "डॉक्टर चायवाला" कहकर पुकारता है मुझे, तो ज्यादा अच्छा लगता है।"
■डॉक्टर चायवाला मेरा आपसे एक सीधा सा सवाल है कि दुनिया में जब ज्यादातर लोग अपने लिए ज्यादा से ज्यादा धन संपत्ति बटोर लेना चाहते हैं, तब ऐसे में आपको नहीं लगता कि मैं भी अधिक से अधिक बटोर लूं ? मैं भी और थोड़ा अमीर बन जाऊं? मेरा भी अपना खुद का बिजनेस थोड़ा और बड़ा हो जाए?
~"सर तरक्की तो हर किसी को करनी चाहिए। मैं भी जीवन में तरक्की करना चाहता हूँ पर अपने लिए सबकुछ बटोर लेने की इच्छा मुझमें नहीं है।तरक्की कोई एकतरफा मसला नहीं है मेरी समझ से। मैंने जो गरीबी देखी है उससे मुझे लगता है कि मैं तरक्की इसलिए कर सकूं कि जीवन में किसी जरूरतमंद के काम आ सकूं।"
■डॉक्टर चायवाला आप अपने कम संसाधनों के बावजूद हर महीने अस्पताल आने वाले अत्यंत गरीब , जरूरतमंदों के लिए दो से तीन हजार रूपये उनकी दवाईयों एवं दूध इत्यादि पर खर्च कर देते हैं । ऐसा करते हुए क्या आपको कभी लगा कि लोग मेरे बारे में जानें या मेरे यश में वृद्धि हो?
~"नहीं सर ऐसा मुझे कभी नहीं लगा। मेरी बचपन से यह सोच रही है कि आदमी तो अपने लिए ही जीवन जीता है , ऐसे में मैं हमेशा सोचता था कि मैं अपने जीवन में गरीब, जरूरतमंदों के कुछ काम आ सकूं। आज मेरी इनकम चालीस से पचास हजार के बीच है। मैं पिछले 10-12 सालों से जबकि मेरी इनकम दस से पंद्रह हजार हुआ करती थी तब से मैं लोगों की सहायता करते आ रहा हूं। मैं तो अपनी चाय की दुकान का बोर्ड भी बनवाना नहीं चाहता था पर दो साल पहले कुछ लोगों ने मुझसे कहा कि अपनी दुकान का बोर्ड बनवा लीजिए। तब मैं बोर्ड बनवाया। बोर्ड बन जाने के बाद कुछ मीडिया के लोग आए और धीरे धीरे मेरे बारे में बहुत सी जानकारियां लोगों तक पहुंची।"
■आपका नाम डॉक्टर कैसे पड़ा इस बारे में थोड़ा बताइए?
~"सर मेरी नानी मुझे डॉक्टर बनाना चाहती थी और मुझे डॉक्टर कहकर ही पुकारती थी पर घर के आर्थिक हालात इतने बुरे थे कि ऐसा कर पाना बिल्कुल संभव नहीं हो सका। मेरी नानी के माध्यम से ही मेरा यह नामकरण हुआ था।"
■डॉक्टर चायवाला क्या आपको नहीं लगता कि हमारा समाज पहले से कहीं अधिक बीमार हो चुका है और उसकी नब्ज टटोलने वाले बहुत कम लोग रह गए हैं?
~"जी सर , ऐसा लगता तो है मुझे भी!"
■तब तो बीमार समाज को ठीक करने के लिए आप जैसा "डॉक्टर चायवाला" ही चाहिए जिससे प्रेरित होकर लोग सिर्फ अपने बारे में ही नहीं बल्कि समाज के बारे में भी सोचना शुरू करें। क्या आपको लगता है कि नानी की जो इच्छा थी आपको डॉक्टर बनाने की, उस डॉक्टर शब्द को आपने सार्थक किया है?
~"सर इस बारे में मैं क्या बताऊं । यह सब तो आप लोग ही तय कर सकते हैं । आप लोग ही इसके बारे में ज्यादा बता सकते हैं ।"
■आपकी शिक्षा दीक्षा कहां तक हुई है?
~"सर मैं ग्रेजुएट पास हूं"
■जगदलपुर के लोग आपको कैसे लगते हैं ?जगदलपुर शहर आपको कैसा लगता है?
~"सर मैं क्या बताऊं जगदलपुर के बारे में और यहां के लोगों के बारे में ! यह शहर मुझे बहुत अच्छा लगता है और इस शहर के लोग बहुत अच्छे हैं। वे मेरा बहुत सपोर्ट करते हैं। मैं तो मूलतः ऊत्तरप्रदेश का हूँ पर यहां आकर मुझे कभी नहीं लगा कि मैं कोई बाहर का व्यक्ति हूं।"
■कल को आप अगर ज्यादा पैसा कमा लें ,अमीर हो जाएं, तो समाज को लेकर क्या कोई और बड़ा सपना है आपके मन में?
~"सर मैं शिक्षा के क्षेत्र में कुछ काम करना चाहता हूं। मेरी इच्छा है कि एक लाइब्रेरी मैं कहीं बनवाऊं , जहां जरूरतमंद बच्चे आकर पढ़ सकें। शिक्षा से ही समाज में बदलाव आ सकता है । शिक्षा से ही लोगों की गरीबी दूर हो सकती है।"
■जब कभी आप किसी जरूरतमंद की सहायता करते हैं और उनकी ओर से आपको दुआएं मिलती हैं तब आपको कैसा अनुभव होता है?
~"सर इसके बारे में क्या बताऊं! बस इतना कह सकता हूं कि उस समय की खुशी से बढ़कर दुनिया में मेरे लिए और कोई दूसरी खुशी नहीं है। एक आत्मिक संतोष मिलता है कि चलो दुनिया में आए हैं तो किसी के काम तो आ सके।"
■मैं कभी जगदलपुर आऊं तो क्या आपसे मुलाकात हो पाएगी? क्या आप मुझसे मिलना चाहेंगे?
~"जी सर बिल्कुल आईए , आपसे मिलकर मुझे बहुत खुशी होगी।"
■डॉक्टर चायवाला आपसे बातचीत करते हुए मुझे खुशी हुई बहुत अच्छा लगा।
~"मुझे भी सर"
■डॉक्टर चायवाला बस जाते-जाते एक सवाल मेरा और है। कल महिला दिवस पर आप जगदलपुर की प्रख्यात लेखिका एक्टिविस्ट उर्मिला आचार्य जी के घर उनका सम्मान करने गए थे। बिजनेस से जुड़े होने ,व्यस्त होने के बावजूद आपको यह ख्याल कैसे आया कि मुझे किसी महिला का सम्मान करना चाहिए । कोई भी व्यक्ति जो चेतना संपन्न हो वही यह सब कर सकता है। कृपया इस बारे में थोड़ा बताएं।
उर्मिला आचार्य जी का सम्मान करते हुए डॉक्टर चायवाला |
~"सर मैं जब टीवी देख रहा था कल, तो टीवी पर हमारे प्रधानमंत्री महिला दिवस पर महिलाओं का सम्मान कर रहे थे। मुझे भी लगा कि महिलाओं के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए। मैंने इसकी चर्चा जब कुछ लोगों से की तो लोगों ने उर्मिला आचार्य जी के बारे में मुझे बताया। उनका नंबर लेकर फिर मैं उनसे संपर्क किया और उनके घर जाकर उनका सम्मान किया। ऐसा करते हुए मुझे बहुत खुशी भी हुई। समाज को महिलाओं के मान सम्मान का हमेशा ध्यान रखना भी चाहिए।"
■चलिए कभी आपसे मुलाकात हो
~"जी! बहुत बहुत धन्यवाद सर!"
बेहतरीन समाज को सही दिशा दिखाने ऐसे ही डॉक्टर की जरूरत है जो बीमार हो चुके समाज का इलाज कर सके
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