सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

समीक्षा- कहानी संग्रह "मुझे पंख दे दो" लेखिका: इला सिंह

शिवना साहित्यिकी के नए अंक में प्रकाशित समीक्षा स्वरों की धीमी आंच से बदलाव के रास्तों  की खोज  ■रमेश शर्मा ------------------------------------------------------------- इला सिंह की कहानियों को पढ़ते हुए यह बात कही जा सकती है कि इला सिंह जीवन में अनदेखी अनबूझी सी रह जाने वाली अमूर्त घटनाओं को कथा की शक्ल में ढाल लेने वाली कथा लेखिकाओं में से एक हैं। उनका पहला कहानी संग्रह 'मुझे पंख दे दो' हाल ही में प्रकाशित होकर पाठकों तक पहुंचा है। इस संग्रह में सात कहानियाँ हैं। संग्रह की पहली कहानी है अम्मा । अम्मा कहानी में एक स्त्री के भीतर जज्ब सहनशील आचरण , धीरज और उदारता को बड़ी सहजता के साथ सामान्य सी लगने वाली घटनाओं के माध्यम से कथा की शक्ल में जिस तरह इला जी ने प्रस्तुत किया है , उनकी यह प्रस्तुति कथा लेखन के उनके मौलिक कौशल को हमारे सामने रखती है और हमारा ध्यान आकर्षित करती है । अम्मा कहानी में दादी , अम्मा , भाभी और बहनों के रूप में स्त्री जीवन के विविध रंग विद्यमान हैं । इन रंगों में अम्मा का जो रंग है वह रंग सबसे सुन्दर और इकहरा है । कहानी एक तरह से यह आग्रह करती है कि स्त्री का

गाँधीश्वर पत्रिका का जून 2024 अंक

गांधीवादी विचारों को समर्पित मासिक पत्रिका "गाँधीश्वर" एक लंबे अरसे से छत्तीसगढ़ के कोरबा से प्रकाशित होती आयी है।इसके अब तक कई यादगार अंक प्रकाशित हुए हैं।  प्रधान संपादक सुरेश चंद्र रोहरा जी की मेहनत और लगन ने इस पत्रिका को एक नए मुकाम तक पहुंचाने में अपनी बड़ी भूमिका अदा की है। रायगढ़ के वरिष्ठ कथाकार , आलोचक रमेश शर्मा जी के कुशल अतिथि संपादन में गांधीश्वर पत्रिका का जून 2024 अंक बेहद ही खास है। यह अंक डॉ. टी महादेव राव जैसे बेहद उम्दा शख्सियत से  हमारा परिचय कराता है। दरअसल यह अंक उन्हीं के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केन्द्रित है। राव एक उम्दा व्यंग्यकार ही नहीं अनुवादक, कहानीकार, कवि लेखक भी हैं। संपादक ने डॉ राव द्वारा रचित विभिन्न रचनात्मक विधाओं को वर्गीकृत कर उनके महत्व को समझाने की कोशिश की है जिससे व्यक्ति विशेष और पाठक के बीच संवाद स्थापित हो सके।अंक पढ़कर पाठकों को लगेगा कि डॉ राव का साहित्य सामयिक और संवेदनाओं से लबरेज है।अंक के माध्यम से यह बात भी स्थापित होती है कि व्यंग्य जैसी शुष्क बौद्धिक शैली अपनी समाजिक सरोकारिता और दिशा बोध के लिए कितनी प्रतिबद्ध दिखाई देती ह

ऐसी ही एक कथा माइकल जेक्शन की भी है।

पॉपुलर साधन संपन्न आदमी अपने को बहुत शक्तिशाली मानता है। इतना शक्तिशाली कि वह अपनी उम्र को भी स्वयं तय करने की कोशिश करता है। पर उम्र पर आखिर किसका वश चलता है? किसी का भी तो नहीं । क्या भिखारी, क्या राजा , मौत किसी के घर का दरवाजा थोड़े पहचानती है। वह तो जब मन लगा चली आती है। ऐसी ही एक कथा विश्व प्रसिद्ध ब्रेक डांसर माइकल जेक्शन की भी है।  माइकल जैक्सन अमीरी के बल पर 150 साल जीना चाहता था!किसी के साथ हाथ मिलाने से पहले दस्ताने पहनता था! लोगों के बीच में जाने से पहले मुंह पर मास्क लगाता था !अपनी देखरेख करने के लिए उसने अपने घर पर 12 डॉक्टर्स नियुक्त किए हुए थे !जो उसके सर के बाल से लेकर पांव के नाखून तक की जांच प्रतिदिन किया करते थे!उसका खाना लैबोरेट्री में चेक होने के बाद उसे खिलाया जाता था! स्वयं को व्यायाम करवाने के लिए उसने 15 लोगों को रखा हुआ था!  माइकल जैकसन अश्वेत था,उसने 1987 में प्लास्टिक सर्जरी करवाकर अपनी त्वचा को गोरा बनवा लिया था!अपने काले मां-बाप और काले दोस्तों को भी छोड़ दिया!गोरा होने के बाद उसने गोरे मां-बाप को किराए पर लिया! और अपने दोस्त भी गोरे बनाए। शादी भी गोरी औरत

जीवन के उबड़ खाबड़ रास्तों की पहचान करातीं कहानियाँ

जीवन के उबड़ खाबड़ रास्तों की पहचान करातीं कहानियाँ ■सुधा ओम ढींगरा का सद्यः प्रकाशित कहानी संग्रह चलो फिर से शुरू करें ■रमेश शर्मा  -------------------------------------- सुधा ओम ढींगरा का सद्यः प्रकाशित कहानी संग्रह ‘चलो फिर से शुरू करें’ पाठकों तक पहुंचने के बाद चर्चा में है। संग्रह की कहानियाँ भारतीय अप्रवासी जीवन को जिस संवेदना और प्रतिबद्धता के साथ अभिव्यक्त करती हैं वह यहां उल्लेखनीय है। संग्रह की कहानियाँ अप्रवासी भारतीय जीवन के स्थूल और सूक्ष्म परिवेश को मूर्त और अमूर्त दोनों ही रूपों में बड़ी तरलता के साथ इस तरह प्रस्तुत करती हैं कि उनके दृश्य आंखों के सामने बनते हुए दिखाई पड़ते हैं। हमें यहां रहकर लगता है कि विदेशों में ,  खासकर अमेरिका जैसे विकसित देशों में अप्रवासी भारतीय परिवार बहुत खुश और सुखी होते हैं,  पर सुधा जी अपनी कहानियों में इस धारणा को तोड़ती हुई नजर आती हैं। वास्तव में दुनिया के किसी भी कोने में जीवन यापन करने वाले लोगों के जीवन में सुख-दुख और संघर्ष का होना अवश्य संभावित है । वे अपनी कहानियों के माध्यम से वहां के जीवन की सच्चाइयों से हमें रूबरू करवाती हैं। संग्रह

कथा कहानी के नाम रहा समर कैंप का आखिरी दिन /बच्चों ने केम्प के अनुभवों पर साझा किया अपना फीडबैक

रायगढ़।स्वामी आत्मानंद शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चक्रधर नगर रायगढ़ में 10 दिवसीय समर कैंप का आयोजन 30 मई को संपन्न हुआ।  पहला सत्र कहानी सुनने सुनाने और उस पर सवाल जवाब का सत्र था। पहले सत्र में व्याख्याता रमेश शर्मा द्वारा बच्चों के लिए लिखी गईं नौ में से चुनी हुईं अपनी तीन कहानियाँ मीठा जादूगर, गणित की दुनिया और नोटबुक, जिसे विशेष तौर पर स्कूल शिक्षा विभाग एससीईआरटी रायपुर द्वारा बच्चों के लिए ही  प्रकाशित किया गया है, पढ़कर सुनाई गईं। इन कहानियों को सुनाने के बाद उन्होंने बच्चों से कई सवाल जवाब किये जिनके उत्तर बच्चों की ओर से दिए गए। बच्चों के उत्तर सुनकर उपस्थित छात्र छात्राओं एवं शिक्षक शिक्षिकाओं को यह महसूस हुआ कि बच्चों ने इन कहानियों को कई डाइमेंशन से समझने की कोशिश की है और उसे अपने जीवन से जोड़कर भी देखने का प्रयास किया है। कहानी सुनाने और सुनने की इस प्रक्रिया में बच्चों ने यह स्वीकार किया कि कहानी कला संप्रेषण की एक सशक्त विधा है और  इसके माध्यम से बहुत सी बातें रोचक ढंग से सीखी जा सकती हैं। इस अवसर पर कहानी लिखने की कला पर भी बातचीत हुई। इसी क्रम में व्याख्याता रश्मि

पुलिस एवं अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने आग पर काबू पाने के बताए तरीके /शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चक्रधर नगर में समर कैंप के तहत किया गया प्रायोगिक प्रदर्शन

पुलिस एवं अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने आग पर काबू पाने के बताए तरीके शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चक्रधर नगर में समर कैंप के तहत किया गया प्रायोगिक प्रदर्शन रायगढ़। स्वामी आत्मानंद शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चक्रधर नगर रायगढ़ में पुलिस एवं अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने आग पर काबू पाने के विभिन्न तरीकों का  बच्चों के समक्ष प्रायोगिक प्रदर्शन किया। संस्था के प्रभारी प्राचार्य अनिल कुमार शराफ ने सर्वप्रथम समस्त अधिकारियों का स्कूली बच्चों से परिचय करवाया।   अग्निशमन सेवा से जुड़े अधिकारी खलखो सर ने इस अवसर पर सिलिंडर में आग लग जाने की स्थिति में किस तरह अपना बचाव किया जाए और आग लगने से आस पड़ोस को कैसे बचाए रखें , इस संबंध में बहुत ही अच्छे तरीके से जानकारी दी और अग्निशमन से जुड़े विभिन्न यंत्रों का उपयोग करने की विधि भी  उन्होंने बताई। उनके साथी जावेद सिंह एवं अन्य अधिकारियों ने भी उनका सहयोग किया। बच्चों ने स्वयं डेमोंसट्रेशन करके भी आग पर काबू पाने की विधियों का उपयोग किया। दैनिक जीवन में काम आने वाली ये जानकारियां बहुत ही सारगर्भित रहीं। इस डेमोंसट्रेशन को स्टॉफ के सभी सदस्

युवा मोटिवेशनल स्पीकर प्रतिची पटेल एवं हैंडराइटिंग स्पेशलिस्ट जीआर देवांगन सर ने बच्चों को किया संबोधित। समर केम्प के बच्चों को दोनों ने दिए जीवन में आगे बढ़ने के टिप्स

रायगढ़। स्वामी आत्मानंद शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चक्रधर नगर रायगढ़ में समर कैंप में हैंडराइटिंग स्पेशलिस्ट जीआर देवांगन एवं युवा मोटिवेशनल स्पीकर प्रतिची पटेल का आगमन हुआ।  प्रतिची पटेल का सम्बोधन सर्वप्रथम विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य अनिल कुमार शराफ़ ने दोनों अतिथियों का परिचय विद्यालय के छात्र-छात्राओं से करवाया। इस अवसर पर जीआर देवांगन ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि छात्रों की हैंड राइटिंग अगर सुंदर हो तो उन्हें परीक्षाओं में इसका लाभ मिलता है। मूल्यांकन कर्ता इससे प्रभावित होते हैं । जी आर देवांगन हैंड राइटिंग स्पेशलिस्ट हैंडराइटिंग से बच्चों के व्यक्तित्व का पता चलता है । इस दिशा में थोड़ी सी मेहनत से बच्चे अपना हैंडराइटिंग सुधार सकते हैं। हां यह जरूर है कि इसके लिए उन्हें सतत अभ्यास और मार्गदर्शन की जरूरत पड़ेगी। उन्हें कर्सिव राइटिंग को लेकर बच्चों को बहुत से उपयोगी टिप्स भी दिए और सवाल जवाब के माध्यम से बच्चों ने बहुत सी बातें उनसे सीखीं। आयोजन में पधारे दूसरे अतिथि वक्ता युवा मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में ख्यात, हाल ही में सीबीएसई 12वीं बोर्ड एग्जाम उत्तीर्ण प्रतिची

आज है डॉक्टर बलदेव की जन्म जयंती: अपना विपुल साहित्य छोड़ जाने वाले डॉक्टर बलदेव की सामाजिक सरोकारिता के कारण भी लोग उन्हें याद करते हैं

आज 27 मई को डॉ बलदेव की जन्म जयंती है। भले ही उन्हें गए लगभग 6 वर्ष बीत चुके हैं पर उनका लिखा साहित्य उनकी मौजूदगी का जीवंत आभास कराता है।  संचार के विभिन्न माध्यमों के जरिये उन्हें याद किये जाने का क्रम अनवरत जारी है। उनके पाठकों , उनके चाहने वालों  की ओर से उन्हें इस तरह याद किया जाना ही उनकी जीवंत उपस्थिति को दर्शाता है। किसी लेखक की असल पूंजी उसका लिखा हुआ साहित्य ही होता है , यह साहित्य ही उसे अमर करता है। साहित्य को भूत और वर्तमान के बीच सेतु की तरह भी हम देखते हैं और इस तरह देखने से ही डॉक्टर बलदेव की मौजूदगी कभी हमारे बीच से जाती नहीं।  साहित्य का विपुल संसार छोड़ गए डॉ बलदेव न केवल एक वरिष्ठ और प्रभावशाली लेखक थे बल्कि लेखक होने के साथ-साथ उनका एक सामाजिक सरोकार भी था। लोगों के साथ उनके जीवंत संबंध भी हुआ करते थे। दीन दुखियों के प्रति उनमें दया, करुणा, प्रेम की भावना भी प्रबल हुआ करती थी । वे अपने इन गुणों को विरासत में छोड़कर भी गए हैं । उनकी स्मृति को और भी जीवंत बनाने के लिए उनके सुपुत्र बसन्त राघव और पुत्रवधु ऋतु ने पहाड़ मंदिर के निकट स्थित बृद्ध आश्रम में जाकर लगभग 60 की

समर केम्प में चक्रधरनगर स्कूल के बच्चों ने संगीत और गायकी का लिया आनंद / प्रसिद्ध युवा बांसुरी वादक विकास तिवारी ने दी अपनी प्रस्तुति

रायगढ़। स्वामी आत्मानंद शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चक्रधर नगर रायगढ़ में समर कैंप के तहत 27 मई को बांसुरी वादक विकास कुमार तिवारी ने अपनी प्रस्तुति दी।  संस्था के प्रभारी प्राचार्य अनिल कुमार  शराफ ने छात्र-छात्राओं से आगन्तुक अतिथि विकास कुमार तिवारी का परिचय कराया साथ ही उन्हें संबोधन एवं अपनी सांगीतिक प्रस्तुति हेतु आमंत्रित किया। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े प्रधान पाठक विकास कुमार तिवारी ने शिक्षा एवं संगीत के क्षेत्र में अपने अनुभवों को साझा किया । संगीत जैसी कला की बारीकियों का जीवन में क्या महत्व है इस पर उन्होनें कुछ बातें रखीं। उन्होंने बांसुरी वादन की कुछ बेहतरीन प्रस्तुतियां  दीं जिसका बच्चों ने आनंद उठाया। कुछ बच्चों ने समर केम्प पर फीडबैक भी दिया। इस अवसर पर प्राचार्य राजेश डेनियल ने बच्चों एवं स्टॉफ को संबोधित करते हुए कहा कि यह सत्र हमारे लिए उपलब्धियों भरा रहा। न केवल विद्यालय में अच्छे परीक्षा परिणाम आए बल्कि अन्य गतिविधियों में भी वर्षभर यहां के छात्र-छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। समर कैंप भी हमारे लिए एक उपलब्धियों भरा यादगार आयोजन है जिसमें अनेक प्रकार की गतिव

डॉ मनीष बेरीवाल ने सीपीआर पर और पीएस खोडियार ने कला एवं जीवन कौशल के अन्तर्सम्बन्धों को लेकर बच्चों से अपनी बातें साझा करीं। चक्रधर नगर स्कूल के समर केम्प में उनके व्याख्यान हुए

चक्रधर नगर स्कूल के समर कैंप में बच्चों को डॉक्टर मनीष बेरीवाल एवं रिटायर्ड प्राचार्य पी.एस. खोडियार ने संबोधित किया    रायगढ़। स्वामी आत्मानंद शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चक्रधर नगर रायगढ़ में समर कैंप के तहत 24 मई को रिटायर्ड प्राचार्य पी.एस. खोडियार एवं डॉ मनीष बेरीवाल का अतिथि वक्ता के रूप में आगमन हुआ।कार्यक्रम के आरंभ में संस्था के प्रभारी प्राचार्य अनिल कुमार  शराफ ने छात्र-छात्राओं से आगन्तुक अतिथियों का परिचय कराया एवम उन्हें संबोधन हेतु आमंत्रित किया।पहले क्रम पर  खोडियार सर ने  ललित कला एवं जीवन कौशल को लेकर बच्चों को संबोधित किया। अच्छी शिक्षा ग्रहण करने के साथ साथ जीवन को किस तरह आसान और सुंदर बनाया जाए , इस राह में ललित कलाओं का क्या योगदान है,  जीवन जीना भी किस तरह एक कला है , समाज में कैसे अपने लिए हम एक सम्मानित स्थान बना सकते हैं, इन प्रश्नों को लेकर उन्होंने बहुत विस्तार पूर्वक अपने अनुभवों के माध्यम से महत्वपूर्ण बातें विद्यार्थियों के बीच साझा किया। दूसरे क्रम पर समर कैंप के अतिथि डॉ मनीष बेरीवाल ने बच्चों को संबोधित किया।उन्होंने सीपीआर के संबंध में विस्तार पूर्

समर केम्प का दूसरा दिन 'तारे जमीं पर' फिल्म के प्रदर्शन और व्यावसायिक कैंपस के भ्रमण पर केंद्रित रहा /स्वामी आत्मानंद शा. उच्चतर मा. विद्यालय चक्रधर नगर के छात्रों ने अपना अनुभव साझा किया

समर केम्प का दूसरा दिन 'तारे जमीं पर' फिल्म के प्रदर्शन और व्यावसायिक कैंपस के भ्रमण पर केंद्रित रहा स्वामी आत्मानंद शा. उच्चतर मा. विद्यालय चक्रधर नगर के छात्रों ने अपना अनुभव साझा किया रायगढ़ । स्वामी आत्मानंद शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चक्रधर नगर रायगढ़ में समर कैंप के द्वितीय दिवस का आयोजन हुआ। सर्वप्रथम संस्था के प्रभारी प्राचार्य अनिल कुमार शराफ द्वारा बच्चों को संबोधित किया गया। उन्होंने शिक्षाप्रद फिल्मों को लेकर बच्चों को बहुत सारी जानकारियां प्रदान कीं। उसके बाद शिक्षक स्टाफ राजा राम सरल और के पी देवांगन के तकनीकी सहयोग से प्रोजेक्टर के माध्यम से बच्चों को बड़े पर्दे पर 'तारे जमीं पर' नामक फिल्म दिखाई गई। यह फिल्म मूलतः बच्चों के मनोविज्ञान पर केंद्रित है । इस फिल्म का बच्चों ने खूब आनंद लिया। इस फिल्म को लेकर शालेय परिवार की शिक्षिकाओं नायर मेडम, वसुंधरा पांडेय मेडम, भगत मेडम, कनक मेडम एवम शारदा प्रधान ने बच्चों से बातचीत की एवं उनके विचार भी जानने का प्रयास किया। इस अवसर पर बच्चों की ओर से कीर्ति यादव,कशिश डनसेना,बरखा तम्बोली,मुस्कान नामदेव ने फ़िल्म को ल

समर कैंप के प्रथम दिवस स्वामी आत्मानंद शा. चक्रधर नगर स्कूल में बैंकिंग साक्षरता पर हुआ आयोजन /छात्र-छात्राओं को ग्रामीण बैंक चक्रधर नगर का भ्रमण करवाया गया

समर कैंप के प्रथम दिवस स्वामी आत्मानंद शा. चक्रधर नगर स्कूल में बैंकिंग साक्षरता पर हुआ आयोजन/ छात्र-छात्राओं को ग्रामीण बैंक चक्रधर नगर का भ्रमण करवाया गया रायगढ़। स्वामी आत्मानंद शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चक्रधर नगर रायगढ़ में समर केम्प का आयोजन 20 मई को प्रारम्भ हुआ। विद्यालय प्रबंधन की ओर से प्रथम दिवस बैंकिंग साक्षरता पर कार्यक्रम रखा गया था। विद्यालय प्राचार्य के आग्रह पर आयोजन के प्रथम दिवस स्टेट बैंक के सेवा निवृत अधिकारी प्रमोद शराफ एवं स्टेट बैंक के वित्तीय साक्षरता काउंसलर राजकुमार शर्मा उपस्थित हुए।बैंकिंग साक्षरता को लेकर बुनियादी जानकारियों के साथ दोनों ही अधिकारियों ने बच्चों से सार्थक संवाद किया। उन्होंने विस्तारपूर्वक बैंक से जुड़े कार्यों की सिलसिलेवार जानकारी दी। बैंक में किस तरह पैसे जमा किये जाते हैं, किस तरह पैसे निकाले जाते हैं, किस तरह इनके फॉर्म भरे जाते हैं, कितनी प्रकार की खाताएं बैंक में खोली जा सकती हैं , बैंक के लेनदेन में किस तरह की सावधानियां रखनी चाहिए,  इन सारी बातों पर अधिकारियों की ओर से बहुत महत्वपूर्ण संवाद स्थापित किये गए । छात्र-छात्राओं से ज

गजेंद्र रावत की कहानी : उड़न छू

गजेंद्र रावत की कहानी उड़न छू कोरोना काल के उस दहशतजदा माहौल को फिर से आंखों के सामने खींच लाती है जिसे अमूमन हम सभी अपने जीवन में घटित होते देखना नहीं चाहते। अम्मा-रुक्की का जीवन जिसमें एक दंपत्ति के सर्वहारा जीवन के बिंदास लम्हों के साथ साथ एक दहशतजदा संघर्ष भी है वह इस कहानी में दिखाई देता है। कोरोना काल में आम लोगों की पुलिस से लुका छिपी इसलिए भर नहीं होती थी कि वह मार पीट करती थी, बल्कि इसलिए भी होती थी कि वह जेब पर डाका डालने पर भी ऊतारू हो जाती थी। श्रमिक वर्ग में एक तो काम के अभाव में पैसों की तंगी , ऊपर से कहीं मेहनत से दो पैसे किसी तरह मिल जाएं तो रास्ते में पुलिस से उन पैसों को बचाकर घर तक ले आना कोरोना काल की एक बड़ी चुनौती हुआ करती थी। उस चुनौती को अम्मा ने कैसे स्वीकारा, कैसे जूतों में छिपाकर दो हजार रुपये का नोट उसका बच गया , कैसे मौका देखकर वह उड़न छू होकर घर पहुँच गया, सारी कथाएं यहां समाहित हैं।कहानी में एक लय भी है और पठनीयता भी।कहानी का अंत मन में बहुत उहापोह और कौतूहल पैदा करता है। बहरहाल पूरी कहानी का आनंद तो कहानी को पढ़कर ही लिया जा सकता है।              कहानी '

परिधि को रज़ा फाउंडेशन ने श्रीकांत वर्मा पर एकाग्र सत्र में बोलने हेतु आमंत्रित किया "युवा 2024" के तहत इंडिया इंटरनेशनल सेंटर नई दिल्ली में आज है उनका वक्तब्य

परिधि को रज़ा फाउंडेशन ने श्रीकांत वर्मा पर एकाग्र सत्र में बोलने हेतु आमंत्रित किया "युवा 2024" के तहत इंडिया इंटरनेशनल सेंटर नई दिल्ली में आज है उनका वक्तब्य रज़ा फाउंडेशन समय समय पर साहित्य एवं कला पर बड़े आयोजन सम्पन्न करता आया है। 27 एवं 28 मार्च को पुरानी पीढ़ी के चुने हुए 9 कवियों धर्मवीर भारती,अजितकुमार, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना,विजयदेवनारायण शाही,श्रीकांत वर्मा,कमलेश,रघुवीर सहाय,धूमिल एवं राजकमल चौधरी पर एकाग्र आयोजन रखा गया है।दो दिनों तक चलने वाले 9 सत्रों के इस आयोजन में पांचवा सत्र श्रीकांत वर्मा  पर एकाग्र है जिसमें परिधि शर्मा को बोलने हेतु युवा 2024 के तहत आमंत्रित किया गया है जिसमें वे आज शाम अपना वक्तव्य देंगी। इस आयोजन के सूत्रधार मशहूर कवि आलोचक अशोक वाजपेयी जी हैं जिन्होंने आयोजन के शुरुआत में युवाओं को संबोधित किया।  युवाओं को संबोधित करते हुए अशोक वाजपेयी  कौन हैं सैयद हैदर रज़ा सैयद हैदर रज़ा का जन्म 22 फ़रवरी 1922 को  मध्य प्रदेश के मंडला में हुआ था और उनकी मृत्यु 23 जुलाई 2016 को हुई थी। वे एक प्रतिष्ठित चित्रकार थे। उनके प्रमुख चित्र अधिकतर तेल या एक्रेलि

सोनाली शेट्टी की कविताएँ

सोनाली शेट्टी की कविताएँ सोनाली शेट्टी मूलतः देहरादून की हैं और अंग्रेजी भाषा में लेखन करती हैं। विचारों में खुलेपन के साथ जीवन को अपने ढंग से जीने वाली सोनाली की कविताओं में मनुष्य के भीतर जज्ब संवेदना मुखर रूप में हमसे संवाद करती है। लगभग बातचीत के अंदाज में कविताओं को रच पाने की कला उनके पास है। उनकी कविताओं को पढ़ते हुए जीवन के आसपास बिखरे रंगों को जिसे हम कई बार देख नहीं पाते, सहजता से देख पाते हैं. १.वो बारिशों की बात थी वो बारिशों की बात थी और  हम भीगने से डरने की एक्टिंग कर रहे थे। भीग रहे थे खुल कर  बेशुमार  हद हो गयी थी  बेशरमी की  मगर  रुक नहीं रही थी चाह भीगने की  बेशुमार। तुम मैं और बारिशें और  साथ सिर्फ ये पहाड़ी रास्ते फिर नहीं आएंगी वो बारिशें वो हद  वो वक़्त बस सिर्फ  तुम्हरे शर्ट का रंग जो मेरे  सफेद सूट पर आज भी लगा है रह गया है  और एक संदूक में रखा तुम्हारी ग्रीन शर्ट को याद करता है आज भी । २. चले जाने के बाद (लीना के लिए) उस रोज़ जब तुम्हारी मृत्यु की सूचना मिली मै मॉल में शॉपिंग कर रही थी  चेंजिंग रूम में फोन उठाया उस तरफ से आवाज़ आई  लीना चली गयी क्या! मगर ... मुझे कल