एक अलहदा अनुभव है छोटी आँखों की पुतलियों से दुनिया को देखना- रमेश शर्मा ताइवान डायरी 'छोटी आंखों की पुतलियों में' देवेश पथ सारिया युवा कवि देवेश पथ सरिया की कविताओं को पढ़ने के कई अवसर मेरे हाथ लगे हैं। भौतिक शास्त्र के पोस्ट डॉक्ट्रल फेलो होने के बावजूद हिन्दी साहित्य के प्रति गहरी रूचि और प्रतिबद्ध इमानदारी , मौलिक शैली और गंभीर अभिव्यक्ति के जरिये उन्होंने अपनी कविताओं के लिए एक समृद्ध पाठक वर्ग तैयार किया है। देवेश के भीतर मौजूद गद्यकार को जानने समझने के अवसर अब तक कम मिले, यद्यपि उनकी हाल फिलहाल प्रकाशित एक दो कहानियों के माध्यम से मैंने महसूस किया कि उनके भीतर का यह हुनर भी एक नए आकार में देर सवेर हमारे सामने आएगा और पाठकों को चकित करेगा। हाल ही में सेतु प्रकाशन से प्रकाशित होकर आयी उनकी ताइवान डायरी की किताब 'छोटी आँखों की पुतलियों से' उनके भीतर मौजूद उसी गद्यकार को थोड़ा और विस्तार देती है । उनके भीतर मौजूद गद्य लेखन का यह हुनर हमें आश्वस्त करता है कि आगे चलकर इस युवा रचनाकार से हमें बहुत कुछ ऐसा पढ़ने को मिलेगा जो हमारी पाठकीय परिपक्वता को विस्तार देते हुए हमें सं