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Gupta Vrindavan Puri Odisha Yatra गुप्त वृंदावन पुरी ओड़िसा यात्रा

पुरी के आसपास के दर्शनीय स्थलों में गुप्त वृंदावन , जिसे कि श्री गौर बिहार आश्रम, माता मठ के नाम से भी जाना जाता है , बहुत सुंदर जगहों में से एक है । यह पुरी के केमलिया सि-बीच से बहुत नजदीक है । जानकारी के अभाव में पुरी आकर भी पर्यटक इस जगह की यात्रा नहीं कर पाते । इस तरह एक सुंदर और ऐतिहासिक जगह से वे वंचित हो जाते हैं। इसलिए इस जगह के बारे में जानकारी प्राप्त करने की दृष्टि से इस आलेख को आप जरूर पढ़ें और यहां कभी जाने के सम्बंध में भी विचार करें ।यहां जो भी बातें मैं लिख रहा हूं, मेरे स्वयं के जीवंत अनुभवों पर ही सारी बारें  आधारित हैं । मैं पुरी की यात्रा पर 6 बार आ चुका हूं परंतु इस जगह के बारे में छठी यात्रा के दरमियान ही मुझे जानकारी मिली और हम लोग वहां पहुंच पाए ।

गुप्त वृंदावन में चैतन्य महाप्रभु की मूर्ति 

पुरी ओडिशा के श्री गौर बिहार आश्रम /गुप्त वृंदावन  /माता मठ को बहुत आकर्षक और अच्छी तरह से सजाया गया है। यहां का माहौल बहुत शांत है साथ ही प्राकृतिक छटाओं से अत्यंत समृद्ध और परिपूर्ण है। यहां जब हम पहुंचे तो ऐसा लगा जैसे किसी तपोभूमि में हम पहुंच गए हैं। यहां की सुंदरता और शांतिपूर्ण वातावरण ने हमारे मन को भीतर से मोह लिया। हमें ऐसा महसूस हुआ जैसे प्रकृति ने अपनी सुंदरता का एक बड़ा हिस्सा इस जगह को दान में दे दिया है।

कृष्ण भक्त निमाई निताई की मूर्तियां

इस मठ का मुख्य मंदिर लगभग 150 वर्ष पुराना है। यह स्थान पुरी में स्वर्गद्वार सि-बीच से लगभग 5 किलोमीटर और केमलिया सि-बीच से लगभग 4 किलोमीटर दूर स्थित है । गुप्त वृंदावन नामक इस रमणीय जगह में विभिन्न देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं जिसके लिए भी इस जगह की प्रसिद्धि दूर दूर तक है। मेरी तरह यदि आप भी फोटोग्राफी के प्रेमी हैं तो यह आपके लिए एकदम सही जगह है ।यहाँ जो मूर्तियां स्थापित हैं, जिनका कि ऊपर मैंने जिक्र किया है ,  "पुराण" की कहानियों में वर्णित देवी देवताओं की ही अद्भुत मूर्तियाँ  हैं।

गौर विहार आश्रम मठ परिसर में हमारी उपस्थिति

श्री गौर बिहार आश्रम (गुप्त वृंदावन) पुरी प्राकृतिक सुंदरता से आच्छादित है।  इसमें श्री जगन्नाथ, लक्ष्मी, राधा-कृष्ण, हनुमान, चैतन्य महाप्रभु, भगवान शिव, शनि देवता सहित और भी कई देवताओं की मूर्तियाँ देखने को मिलती हैं।

मठ परिसर में हमारे परिजनों की उपस्थिति

मठ परिसर की मूर्ति 

श्री गौर बिहार आश्रम के बारे में जो जानकारी हमें वहां से मिली उसके अनुसार इस आश्रम का नाम गौरांग संत के नाम पर रखा गया है। चैतन्य चरितामृत ग्रंथ के अनुसार श्री चैतन्य देव त्रिथराज महोदधि के साथ स्थित इस स्थान पर रहकर ध्यान में लीन थे। उन्होंने "गौड़ीय वैष्णव परंपरा" की स्थापना की। उनकी शिष्या रमा दासी भी आश्रम में ध्यान और भजन कर रही थीं। वर्तमान महंत सुबल चरण दास ने इसका जीर्णोद्धार कराया था और मठ की रस्म अदा की थी।

गौर हरी /चैतन्य महाप्रभु बंगाल के ऐसे संत हुए जो भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त कहलाते हैं। इन्हीं जैसे संतों की आभा सघन रूप में  इस जगह पर दिखाई पड़ती है। उनके प्रति बंगाली समाज की जो आस्था है उसका आकलन आप यहां आकर बखूबी कर सकते हैं। यहां आकर बंगला और ओड़िया संस्कृति का जो मिला जुला कल्चर है उसकी अनुभूति भी होने लगती है। एक बात को बहुत गहराई से महसूस किया जा सकता है कि सामाजिक सद्भाव के लिए भी इन संतो ने बहुत बड़ा काम किया होगा और उस सद्भाव की मिसाल पुरी धाम की संस्कृति में तो दिखता ही है , इस गौर विहार आश्रम में भी हम उसे शिद्दत से महसूस कर पाते हैं। मैं बचपन में अपने दादी से बंगाल के कृष्ण भक्त निताई और निमाई के बारे में सुना करता था। यहां आकर जान सका कि  इन्हें ही चेतन्य महाप्रभु कहा जाता है। यहां आकर इन बातों को महसूस करते हुए कृष्ण की अनुभूति अपने आप होने लगती है। मेरे लिए यह एक अलहदा अनुभव  रहा जो यहां आकर मुझे प्राप्त हुआ।

 

गौर बिहार आश्रम / गुप्त वृंदावन पुरी से जुड़े कुछ तथ्य आप जान लें ताकि कभी आप पुरी जाएं तो यहां तक आसानी से पहुंच सकें-



मठ परिसर में स्थापित मूर्तियां 

यहां तक कैसे पहुंचा जाये - स्थानीय टैक्सी/ऑटो रिक्शा

जगन्नाथ मंदिर से यहां की दूरी- 6 किमी

स्वर्गद्वार बीच से यहां की दूरी - 5KM

प्रवेश शुल्क - 10/- रुपये प्रति व्यक्ति

फोटोग्राफी - अनुमति है

जिन चीजों के लिए यह प्रसिद्ध है - देवी-देवताओं की मूर्तियों के साथ परिसर की प्राकृतिक सुंदरता।

खुलने का समय - सुबह 7 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक।


मठ परिसर स्थित शनिदेव मंदिर 

फनी नामक चक्रवात ने 3 मई 2019 को पुरी पर दस्तक दी थी तब  यह मठ भी बुरी तरह अस्त व्यस्त हो गया था पर इसे अब पूरी तरह सुधार लिया गया है।

यहां पहुंच कर मुझे काफी अच्छा लगा। यद्यपि स्वर्गद्वार से जब हम निकले तो पुरी से बाहर निकलने के बाद लगभग दो किलोमीटर कच्चे रास्ते पर जाना पड़ता है । आशा की जानी चाहिए कि ओड़िशा सरकार यहां तक पहुंच मार्ग को जल्द दुरुस्त कर लेगी। मैं अगली बार फिर कभी पुरी आऊंगा तो मेरा मन करता है कि यहां मैं दोबारा जाऊं। आप भी एक बार इस जगह को हो आएं, जरूर अच्छा लगेगा।

【रमेश शर्मा, पुरी के माता मठ से लौटकर】

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