इतने खराब हालातों में भी वो दिल की हमेशा अमीर रहीं इला सिंह जीवन की अनदेखी अनबुझी सी रह जाने वाली अमूर्त सी घटनाओं को भी कथा की शक्ल में ढाल लेने वाली कथा लेखिकाओं में से हैं| अम्मा कहानी में भी एक स्त्री के भीतर जज्ब सहनशीलता , धीरज और उसकी उदारता को सामान्य सी घटनाओं के माध्यम से कथा की शक्ल में जिस तरह उन्होंने प्रस्तुत किया है , उनकी यह प्रस्तुति हमारा ध्यान आकर्षित करती है | अम्मा कहानी में दादी , अम्मा , भाभी और बहनों के रूप में स्त्री जीवन के विविध रंग हैं पर अम्मा का जो रंग है वह रंग सबसे सुन्दर और इकहरा है | कहानी एक तरह से यह आग्रह करती है कि स्त्री के ऐसे रंग ही एक घर की खूबसूरती को बचाए रखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं |कहानी यह कहने में सफल है कि घर और समाज की धुरी अम्मा जैसी स्त्री के ऊपर ही टिकी है | कथादेश के किसी पूर्व अंक में प्रकाशित इस कहानी की लेखिका इला सिंह जी का अनुग्रह के इस मंच पर स्वागत है | अम्मा “ आज हमसे खाना नही बनेगा भाई !” भाभी ने रोटी सेकते - सेकते झ...