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जुलाई, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शिवरीनारायण में आयोजित सृजन संवाद कार्यशाला में कहानी और कविता पर हुई सार्थक परिचर्चा

  श्रीकांत वर्मा सृजन पीठ और जिला प्रशासन जांजगीर के आयोजन में परिधि शर्मा, सुमेधा अग्रश्री, कुसुम माधुरी टोप्पो ने किया   कहानी पाठ रायगढ़ । छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद् की बॉडी श्रीकांत वर्मा सृजन पीठ और जिला प्रशासन जांजगीर चांपा के संयुक्त आयोजन में छत्तीसगढ़ के संभावनाशील रचनाकारों के लिए सृजन संवाद के नाम से एक कार्यशाला का आयोजन हुआ । 22 एवं 23 जुलाई को शिवरीनारायण में आयोजित इस कार्यशाला में दिशा निर्देशन के लिए महत्वपूर्ण कथाकार जया जादवानी एवं आनंद हर्षुल, महत्वपूर्ण कवि तेजी ग्रोवर, रुस्तम एवं महेश वर्मा सहित पीठ के अध्यक्ष कवि कथाकार रामकुमार तिवारी उपस्थित थे । प्रथम सत्र का आरम्भ करते हुए कहानी लेखन को लेकर मशहूर कथा लेखिका जया जादवानी ने कुछ  महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर अपनी बातें रखीं । उन्होंने कहा कि कहानी में विवरण की तरह सीधी बात कभी न की जाए। बिटवीन द लाइन्स कुछ ऐसा अलिखित सा हो कि उसे समझने के लिए पाठक को कहानी के भीतर जाना पड़े। कहानी लिखते समय हमेशा अपने अन्दर और बाहर की दुनिया के बीच एक खिड़की खोल कर रखें जहाँ आप आ जा सकेँ । प्रथम सत्र में रायगढ़ से परिधि शर्मा रायपुर से स

रमेश शर्मा की कहानी : 'अपने अपने हिस्से का गाँव'

  रमेश शर्मा की कहानी : 'अपने अपने हिस्से का गाँव' --------------------------------------------- रिटायर्ड आई.ए.एस ऑफिसर प्रताप मिश्र का ओहदा जितना बड़ा रहा है उनके जीवन की कथा उतनी ही छोटी है। प्रताप मिश्र के पिता गाँव के मालगुजार स्व.लवकुश मिश्र का एक समय गाँव में साठ एकड़ से ऊपर जमीन थी । इतनी ज्यादा जमीनों के मालिक होकर भी उनके पिता ने उन्हें सिविल सर्विस की नौकरी की तैयारी के सिलसिले में जब शहर भेजा तो उन्हें इस बात का आभास नहीं था कि एक दिन उनका बेटा शहर का होकर ही रह जाएगा । पिताओं के सपने बड़े होते हैं पर वे बड़े सपने सच होकर एक दिन पिता और बेटों के बीच दीवार बनकर खड़े हो जाते हैं । सिविल सर्विस की तैयारी करते-करते शहर में उनके तीन साल कब गुजर गए उन्हें पता ही नहीं चला । तीन साल बाद दूसरे अटेम्प्ट में जब सिविल सर्विस के तहत उनकी पोस्टिंग हुई तो उन्हें ओड़िसा के भुवनेश्वर जैसे बड़े शहर में काम करने का अवसर मिला। काम तो पता नहीं उन्होंने क्या किया , पर इस अवसर को उन्होंने भुनाया खूब ! फिर ओड़िसा के कई शहरों में घूमते-घामते आईएएस की नौकरी में ठाट से उनके दिन निकलते चले गए । समय बदल

डॉ. चंद्रिका चौधरी की कहानी : घास की ज़मीन

  डॉ. चंद्रिका चौधरी हमारे छत्तीसगढ़ से हैं और बतौर सहायक प्राध्यापक सरायपाली छत्तीसगढ़ के एक शासकीय कॉलेज में हिंदी बिषय का अध्यापन करती हैं । कहानियों के पठन-पाठन में उनकी गहरी अभिरुचि है। खुशी की बात यह है कि उन्होंने कहानी लिखने की शुरुआत भी की है । हाल में उनकी एक कहानी ' घास की ज़मीन ' साहित्य अमृत के जुलाई 2023 अंक में प्रकाशित हुई है।उनकी कुछ और कहानियाँ प्रकाशन की कतार में हैं। उनकी लिखी इस शुरुआती कहानी के कई संवाद बहुत ह्रदयस्पर्शी हैं । चाहे वह घास और जमीन के बीच रिश्तों के अंतर्संबंध के असंतुलन को लेकर हो , चाहे बसंत की विदाई के उपरांत विरह या दुःख में पेड़ों से पत्तों के पीले होकर झड़ जाने की बात हो , ये सभी संवाद एक स्त्री के परिवार और समाज के बीच रिश्तों के असंतुलन को ठीक ठीक ढंग से व्याख्यायित करते हैं। सवालों को लेकर एक स्त्री की चुप्पी ही जब उसकी भाषा बन जाती है तब सवालों के जवाब अपने आप उस चुप्पी में ध्वनित होने लगते हैं। इस कहानी में एक स्त्री की पीड़ा अव्यक्त रह जाते हुए भी पाठकों के सामने व्यक्त होने जैसी लगती है और यही इस कहानी की खूबी है। घटनाओ