करमागढ़ की यात्रा : दैनिक क्रांतिकारी संकेत में प्रकाशित यात्रा संस्मरण ■रमेश शर्मा ~~~~~~~~~~~~~~~~~ दुर्गा नवमी का दिन था। जगह जगह शहर के पंडालों में माँ दुर्गा विराजी हुई थीं । आज के दिन देवी दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ शहरों में बढ़ जाती है । ऐसे में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ शहर की भीड़भाड़ से 25 किलोमीटर दूर करमागढ़ के घने जंगलों में बसन्त और ऋतु के साथ मैं और प्रतिमा भी शाम के लगभग 3 बजे यात्रा पर निकल पड़े । रास्ते में पालीघाट की घुमावदार हरी भरी पहाड़ियां मिलीं । पालीघाट की घुमावदार हरी भरी पहाड़ियों से गुजरते हुए मुझे बस्तर की केशकाल घाटी याद हो आयी। बस्तर की पहाड़ियों में जिस तरह ऊँचे ऊंचे ,घने ऊगे पेड़ बहुत पास-पास खड़े दिखाई देते हैं यहाँ भी वही नजारा दिखा । एकबारगी मुझे लगा कि मैं बस्तर के सुकमा और बीजापुर के जंगलों में आ गया हूँ । पाली घाट की पहाड़ियों के नीचे गहरी खाईयां और हरा भरा घना जंगल । समूचे दृश्य ने हमारा मन मोह लिया। पालीघाट से निकल कर हमारी कार और पंद्रह मिनट सड़क पर दौड़ती रही । कुछ समय बाद ही हम करमागढ़ में पहुँच गए थे । वहां भी रजवाड़ों के समय से माँ दुर्गा का प्राचीन मं