रायगढ़ के ह्रदय स्थल चक्रधर नगर चौक में स्थित है कमला नेहरू पार्क। यह पार्क शहर की जरूरतों के हिसाब से वर्तमान में शहर के सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है | यहां बच्चे बूढ़े युवा सारे लोग सुबह शाम स्वास्थ्य और मानसिक तंदुरुस्ती के हिसाब से नियमित आते जाते हैं और यह जगह इस अवधि में गुलज़ार रहता है । मैं यहाँ से निकटस्थ किरोड़ीमल साइंस कॉलेज में सन 1983 में बी.एस-सी.में एडमिशन लिया था और एम.एस-सी.मैंने वहीं पूरी की । इन पांच छः सालों के दरमियान इस जगह के सामने की सड़क से होकर हम लोगों का अक्सर आना जाना होता था ।
यह पार्क उन दिनों उतना विकसित नहीं हुआ था इसलिए इसने इस तरह कभी मेरा ध्यान नहीं खींचा था । मैं बीच-बीच में भी कभी कभार वहां जाया करता था। आज 26 मार्च 2023 को बहुत दिनों बाद वहां गया तो वहां के परिसर की सुंदरता देखकर मुझे बहुत खुशी हुई । इस पार्क को निर्मित हुए भी 35 साल गुजर चुके हैं और इन 35 सालों में इस शहर ने बहुत कुछ बदलाव देखा है।इसका निर्माण अस्सी के दशक में हुआ और इसका रख रखाव नगर पालिका रायगढ़ के माध्यम से ही उस समय हुआ करती था। धीरे धीरे फिर इसका थोड़ा बहुत विकास हुआ। कालांतर में 1990 के बाद शहर में जिंदल उद्योग का आगमन हुआ। फिर कुछ वर्षों बाद इसके रखरखाव का जिम्मा जिंदल को दे दिया गया । एक रूपये टिकट पर लोगों को यहाँ प्रवेश दिया जाने लगा और उस पैसे से पार्क का थोड़ा बहुत मेंटेनेन्स होता रहा।
इन सब परिस्थितियों के बाद अब जाकर 2023 में यहाँ काफी सुधार देखने को मिला है जो थोड़ा शुकून देता है । कमला नेहरू पार्क की सुन्दरता अब काफी बढ़ गयी है । सोलर लाइट के सात ऊँचे ऊँचे टावर लगे हैं जिसके कारण रात्रि में पर्याप्त रोशनी रहती है । बच्चों के लिए यहाँ टॉय ट्रेन की व्यवस्था है। झूले वगेरह पर्याप्त हैं जिसके कारण छोटे बच्चे अपने माता पिता के साथ खेलते हुए दिख जाते हैं । यह दृश्य बड़ा मनोहारी लगता है।
रायगढ़ के वर्तमान जिलाधीश तारन प्रकाश सिन्हा जी के निर्देश पर जिंदल प्रबंधन ने गंभीरता पूर्वक कमला नेहरू पार्क का जीर्णोद्धार आरम्भ किया है जो अब मूर्त रूप में दिखाई भी देने लगा है। पार्क के दोनों शावर चालू हो जाने पर इसकी सुन्दरता बढ़ गयी है । परिसर का रंग रोगन हो जाने से परिसर हरा भरा और साफ़ सुथरा हो गया है । पार्क की जमीन पर ऊगे हरे हरे घास ग्रॉस टर्फ मैदान का लुक देने लगे हैं ।ध्यान से अगर देखिए तो बीच में कतारों में लगे बाटल पाम के ऊंचे ऊंचे पेड़ यहाँ की खूबसूरती में चार चाँद लगा देते हैं ।शहर की जगहें , शहर के दृश्य इतिहास से जुड़े हुए होते हैं । आज यहां पहुंच कर मुझे इस पार्क को लेकर थोड़ा बहुत लिखने का मन हुआ। मैंने अपनी स्मृतियों को आपके साथ साझा करने का प्रयास किया है। आप भी अपनी प्रतिक्रियाएं इस ब्लॉग पर मुझसे जरूर साझा करें। शहर वासियों को समय निकाल कर कभी कभी ऎसी जगहों का भी लुफ्त उठाना चाहिए | जिले के आसपास के सैलानियों को भी कभी-कभार शाम को यहां घूमने जरूर आना चाहिए।
Excellent
जवाब देंहटाएंThanks🙏
हटाएंविशेष दिनों में जाना होता है , सर
जवाब देंहटाएंआनंद मिलता है🙏🏻😊
Thanks🙏
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