जीवन प्रबंधन से जुड़ी सात बातें
हम अपने जीवन में बहुत कुछ करते रहते हैं | इन भौतिक प्रयासों को यदि आध्यात्मिक रूपों से जोड़कर भी विचार करने की कोशिश हम करें तो जीवन में सफलता सुनिश्चित, सुखदायी और शांतिमय हो सकती है।जीवन जीने की कला सीखने के लिए प्रतिदिन निम्न सात संकल्प पूर्ण करने का प्रयास हमारी ओर से होनी चाहिए । यदि प्रतिदिन न कर सकें तो सप्ताह के एक दिन एक संकल्प को हाथ में लेकर उसे पूर्ण करने का प्रयास करें। यदि हम ऐसा करते हैं तो एक दिन महसूस करेंगे कि किस तरह मानसिक शांति एवं सुख समृद्धि हमारे द्वार पर दस्तक देने लगी है -
1.■सत्य – प्रयास करें कि हमेशा सत्य बोलें, ऐसा करने से मन में कोई दबाव नहीं रहेगा और आप सहज महसूस करेंगे ।
2.■अहंकार – हर अवसर पर अहंकार छोड़ने के लिए तत्पर रहें, ऐसा करने से आप सरल होने लग जाएंगे।आपके सम्बन्ध दूसरों से मधुर होने लगेंगे
3.■निंदा – निंदा करते रहने से मन में नकारात्मक भाव विकसित होने लगते हैं। नज़रिया संकुचित होने लगता है। कभी किसी की निंदा न करें, इससे आपका मन भारी नहीं होगा, मन में निश्चिन्तता आएगी।
4.■पूजा – मन को शांत रखने के लिए पूजा पाठ प्रतिदिन करें, प्रयास रहे, पूजा सात भागों में सम्पन्न हो। 1. सूर्य को अर्ध्य दें 2. तुलसी को जल चढ़ाएं, 3.गाय को गोग्रास दें, 4. पंचदेव की पूजा करें, 5. रामायण गीता बाइबिल इत्यादि किसी भी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करें, 6. जीवित माता – पिता, वृद्धजनों तथा दिवंगत पितृजनों को नित्य प्रणाम करें, 7. मंदिर जाएं। इससे आपके भीतर धैर्य और दूरदर्शिता बढ़ेगी। लोगों से मिलना जुलना होगा । मन प्रसन्न रहेगा।
5.■मौन – यह समझना जरूरी है कि चुप्पी और मौन में अंतर होता है, यह समझते हुए प्रतिदिन कुछ समय मौन रहें, आपको निश्चय ही शांति प्राप्त होगी।
6.■योग – शरीर को फीट रखने के लिए कसरत जरूरी है इसलिए थोड़ी शारीरिक क्रियाएं करें | अगर कर सकें तो ध्यान भी करें, इससे आपका आलस्य हटेगा, शारीरिक ऊर्जा और मानसिक उत्साह बढ़ेगा।
7.■सम्पर्क – तीन काम करें – प्रतिदिन या सप्ताह में एक बार 1. अपने माता – पिता, भाई – बहन, जीवनसाथी, संतान के लिए कुछ समय एकांत का अवश्य निकालें और केवल उनके ही साथ रहें। 2. सत्संग करें, किसी संत या विद्वान के साथ बैठें। 3. प्रतिदिन अपने किसी भी मित्र, रिश्तेदार से पत्र या फोन द्वारा उनके सुख – दुख की जानकारी लेते हुए, अवश्य चर्चा करें, चर्चा अकारण और स्नेहवश हो। इससे आपके भीतर प्रेम और सेवा भाव जागेगा। आप खुश रहेंगे।
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