सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

हेमसुंदर गुप्ता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महापल्ली : एक सुसंस्कृत छवि बिखेरता विद्यालय


बहुत दिन अभी नहीं हुए , सन 2022 का दिसम्बर महीना अभी अभी ही बीता है। वह दिन मेरी स्मृतियों में शेष है । रविवार का दिन था वह और स्व.हेमसुन्दर गुप्त शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महापल्ली, रायगढ़ के प्रांगण में लगभग 1000 लोग एकत्रित हुए थे। अवसर था इस विद्यालय में पूर्व और वर्तमान में अध्ययनरत विद्यार्थियों और वहां पूर्व और वर्तमान में पदस्थ शिक्षकों के आपसी समागम का।

इस समागम में चार पीढ़ी के लोग शामिल हुए। निमंत्रण पाकर बहुत व्यस्त समय के बावजूद दूर दराज से जिस उत्साह के साथ सम्मेलन में भाग लेने यहां के भूतपूर्व छात्र, यहां की भूतपूर्व छात्राएं, और यहां के भूतपूर्व शिक्षको का आगमन हुआ, उनका यह आगमन विद्यालय के प्रति उनकी श्रद्धा और उनके प्रेम का प्रमाण है। अन्यत्र विवाही गईं यहां पढ़ने वाली पूर्व छात्राओं का उत्साह देखिए कि अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ वे भी यहां दौड़ी चली आईं। छत्तीसगढ़ के कोने कोने जशपुर, जांजगीर, कोरबा से लोग दौड़े चले आए । अपने पुराने सहपाठियों और भूतपूर्व शिक्षकों से मिलने की तीव्र इच्छा ने उनके भीतर की ऊर्जा को उड़ान देकर इस विद्यालय के प्रांगण में उन्हें जैसे उड़न खटोले की तरह उतार दिया।

मैं पूर्व में इसी विद्यालय का छात्र रहा ।सत्र 1980-81,1981-82,1982-83 में मैंने 9वीं से लेकर हायर सेकेंडरी 11वीं की परीक्षा यहां से उत्तीर्ण की ।

नौकरी में आने के बाद कालांतर में स्थानांतरित होकर सन 1992 से 2004 तक हायर सेकेंडरी शिक्षक के रूप में भी मैंने अपनी सेवाएं यहां दी हैं।

जब मैं पहली बार यहां पदस्थ हुआ तो मेरे प्राचार्य डॉक्टर बलदेव थे । उनके जैसा उदारमना एक वरिष्ठ साहित्यकार का सान्निध्य मेरे लिए अत्यंत सुखकर रहा।

दो अलग-अलग कालखंडों  में दो अलग-अलग किस्म के अनुभवों की संपदा मेरे हिस्से इस विद्यालय को लेकर हैं।



कल जब मैं यहां मंच पर उपस्थित था तो मेरी आंखों के सामने चार पीढ़ियां नजर आ रही थीं। मैं बहुत अर्से बाद उनको देख रहा था और उनसे मिलने की तीव्र इच्छा मेरे भीतर उठने लगी थी। यह इच्छा एकतरफा नहीं थी। कुछ समय बाद जब मैं सब से मिलने लगा तो मिलकर लगा कि मुझसे अधिक उत्सुकता मेरे प्रिय विद्यार्थियों और गुरुजनों के भीतर मौजूद है। यह उत्सुकता अमूर्त थी, पर उस अमूर्त उत्सुकता की तीव्रता को, प्रेम में डूबी हुई उसकी गहराई को, मैं बारम्बार महसूस कर रहा था।

मेरी स्थिति तो यह थी कि मैं किसी से बात करने लगता था तब हमारी बात पूरी भी नहीं हुई रहती कि कई कई हाथ चरण स्पर्श करने लगते थे और कई कई मुस्कुराते चेहरे मुझे घेर लेते थे। सबसे मिलने के क्रम में हम आपस में ज्यादा बोल बतिया नहीं पा रहे थे पर उन चेहरों में जो प्रसन्नता और आनंद का भाव था वही हमारे संवाद का माध्यम था।


रायगढ़ पूर्वांचल के गांवों में आते जाते
, मेरे बाद की पीढ़ी के अपने प्रिय छात्र छात्राओं से कभी कभार जब भी मैं मिलता हूँ , उनके व्यवहार की नम्रता,उनकी उदारता, सम्मान के भाव से भरा उनका प्रेम मुझे भावुक कर देता है। सच कहते हुए मुझे गर्व होता है कि आज की बिषम परिस्थितियों में भी अपने कल्चर्ड और क्रिएटिव होने का प्रमाण वे समाज को दे रहे हैं।

उस दिन  का आयोजन पूर्वांचल के युवाओं और उनके मार्गदर्शक गुरुओं की रचनात्मकता का जीवंत उदाहरण है। सांगठनिक तौर पर जिस कर्मठता का परिचय आयोजन समिति की पूरी टीम ने दिया और इतने बड़े आयोजन को सफल कर दिखाया वह सचमुच ऐतिहासिक था ।

सच कहूं तो इस विद्यालय की मिट्टी में ही ऐसा कुछ है कि कुछ अच्छा करने को यह विद्यालय क्षेत्र के लोगों को प्रेरित करता है।


इस मिट्टी का ही चमत्कार है कि उस जमाने में जबकि लड़कियां दूर दराज जाकर पढ़ लिख नहीं पाती थीं
, महापल्ली ग्राम के हेमसुन्दर गुप्त जी ने भूमि दान कर मुष्ठी फण्ड के सहयोग से विद्यालय का भवन खड़ा करवा दिया और फिर हाई स्कूल की शुरुआत हो गयी।

क्षेत्र की मिट्टी का ही कमाल है कि शशिधर पंडा सर ने सांगठनिक शक्ति का प्रयोग करते हुए जन सहयोग से कॉलेज की आधारशिला रख दी और जनसहयोग से आज वह कॉलेज फल फूल रहा है।

उस दिन के आयोजन में जो जन सहयोग मिला , चाहे वह श्रम का सहयोग हो चाहे वह धन का सहयोग हो, वह सहयोग भी अद्भुत है । इस तरह का सहयोग वहीं संभव हो पाता है जहां लोगों के बीच जीवन मूल्य जीवित हों।



चूंकि इस विद्यालय को लेकर मेरे हिस्से दो प्रकार के लंबे अनुभव हैं , इन अनुभवों के आधार पर मैं कह सकता हूं कि इन जीवन मूल्यों के जीवित होने के पीछे पूरा श्रेय इस विद्यालय का ही है। उस दिन के आयोजन को सफल बनाने में वर्तमान में अध्ययनरत विद्यार्थियों की रचनात्मकता ने भी इस बात को सबके सामने उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया होगा कि इस विद्यालय ने जीवन मूल्यों की जड़ को आज भी सिंचित कर रखा है। आज भी यहां के विद्यार्थी और शिक्षक कल्चर्ड हैं।

फिलहाल मेरी उम्र 56 साल है । इस उम्र में आकर अब मुझे अनुभव होता है कि विद्यार्थी के रूप में पढ़ाई करते हुए और शिक्षक के रूप में अध्यापन की सेवा करते हुए जीवन के सबसे बेहतरीन वर्ष मैंने इस विद्यालय में व्यतीत किये ।एक शिक्षक की पूंजी उसके पढ़ाए हुए विद्यार्थी ही होते हैं । बेहतर और जिम्मेदार नागरिक के रूप में अगर समाज में उनका प्रतिनिधित्व बेहतर है तो शिक्षक अपने आपको भाग्यशाली समझता है।

मैं भी अपने को उन्हीं भाग्यशाली शिक्षकों में शामिल पाता हूं क्योंकि मेरे सभी विद्यार्थी, जिनसे एक एक कर उस दिन मेरी मुलाकातें हुईं, सबने मुझे अपने उदारमना कर्तब्यनिष्ठ आचरण और मृदु व्यवहार से मुझे आश्वस्त किया कि सामाजिक और पारिवारिक जीवन में उनकी दिशा उसी तरफ है जहां उन्हें होना चाहिए।सबने अपने लिए समाज में एक अच्छी जगह बनाई है।मुझे न जाने क्यों लगता है कि एक विद्यालय के इर्द गिर्द ही जीवन की सांस्कृतिक यात्राएं गतिमान रहती हैं , इसका अंदाज तो तब होता है जब हम किसी दिन जाकर थोड़ा समय वहां बिताते हैं | मैं अब भी कहता हूँ कि कभी जीवन में निराशा हो , कभी थकान महसूस करें तो अपने पढ़े हुए किसी पसंदीदा विद्यालय की दीवारों को जाकर छू आएं , मुझे विश्वास है आपको शुकून मिलेगा |

*

रमेश शर्मा  

 

 

टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुंदर आलेख ,सचमुच उसदिन का वह दृश्य जिसने भी सशरीर उपस्थिति दी ,कितना गौरवपूर्ण क्षण होगा वह जिसका आपने चित्रण किया ।काबिलेतारीफ

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इन्हें भी पढ़ते चलें...

कौन हैं ओमा द अक और इनदिनों क्यों चर्चा में हैं।

आज अनुग्रह के पाठकों से हम ऐसे शख्स का परिचय कराने जा रहे हैं जो इन दिनों देश के बुद्धिजीवियों के बीच खासा चर्चे में हैं। आखिर उनकी चर्चा क्यों हो रही है इसको जानने के लिए इस आलेख को पढ़ा जाना जरूरी है। किताब: महंगी कविता, कीमत पच्चीस हजार रूपये  आध्यात्मिक विचारक ओमा द अक् का जन्म भारत की आध्यात्मिक राजधानी काशी में हुआ। महिलाओं सा चेहरा और महिलाओं जैसी आवाज के कारण इनको सुनते हुए या देखते हुए भ्रम होता है जबकि वे एक पुरुष संत हैं । ये शुरू से ही क्रान्तिकारी विचारधारा के रहे हैं । अपने बचपन से ही शास्त्रों और पुराणों का अध्ययन प्रारम्भ करने वाले ओमा द अक विज्ञान और ज्योतिष में भी गहन रुचि रखते हैं। इन्हें पारम्परिक शिक्षा पद्धति (स्कूली शिक्षा) में कभी भी रुचि नहीं रही ।  इन्होंने बी. ए. प्रथम वर्ष उत्तीर्ण करने के पश्चात ही पढ़ाई छोड़ दी किन्तु उनका पढ़ना-लिखना कभी नहीं छूटा। वे हज़ारों कविताएँ, सैकड़ों लेख, कुछ कहानियाँ और नाटक भी लिख चुके हैं। हिन्दी और उर्दू में  उनकी लिखी अनेक रचनाएँ  हैं जिनमें से कुछ एक देश-विदेश की कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक...

जैनेंद्र कुमार की कहानी 'अपना अपना भाग्य' और मन में आते जाते कुछ सवाल

कहानी 'अपना अपना भाग्य' की कसौटी पर समाज का चरित्र कितना खरा उतरता है इस विमर्श के पहले जैनेंद्र कुमार की कहानी अपना अपना भाग्य पढ़ते हुए कहानी में वर्णित भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियों के जीवंत दृश्य कहानी से हमें जोड़ते हैं। यह जुड़ाव इसलिए घनीभूत होता है क्योंकि हमारी संवेदना उस कहानी से जुड़ती चली जाती है । पहाड़ी क्षेत्र में रात के दृश्य और कड़ाके की ठंड के बीच एक बेघर बच्चे का शहर में भटकना पाठकों के भीतर की संवेदना को अनायास कुरेदने लगता है। कहानी अपने साथ कई सवाल छोड़ती हुई चलती है फिर भी जैनेंद्र कुमार ने इन दृश्यों, घटनाओं के माध्यम से कहानी के प्रवाह को गति प्रदान करने में कहानी कला का बखूबी उपयोग किया है। कहानीकार जैनेंद्र कुमार  अभावग्रस्तता , पारिवारिक गरीबी और उस गरीबी की वजह से माता पिता के बीच उपजी बिषमताओं को करीब से देखा समझा हुआ एक स्वाभिमानी और इमानदार गरीब लड़का जो घर से कुछ काम की तलाश में शहर भाग आता है और समाज के संपन्न वर्ग की नृशंस उदासीनता झेलते हुए अंततः रात की जानलेवा सर्दी से ठिठुर कर इस दुनिया से विदा हो जाता है । संपन्न समाज ऎसी घटनाओं को भाग्य से ज...

समकालीन कविता और युवा कवयित्री ममता जयंत की कविताएं

समकालीन कविता और युवा कवयित्री ममता जयंत की कविताएं दिल्ली निवासी ममता जयंत लंबे समय से कविताएं लिख रही हैं। उनकी कविताओं को पढ़ते हुए यह बात कही जा सकती है कि उनकी कविताओं में विचार अपनी जगह पहले बनाते हैं फिर कविता के लिए जरूरी विभिन्न कलाएं, जिनमें भाषा, बिम्ब और शिल्प शामिल हैं, धीरे-धीरे जगह तलाशती हुईं कविताओं के साथ जुड़ती जाती हैं। यह शायद इसलिए भी है कि वे पेशे से अध्यापिका हैं और बच्चों से रोज का उनका वैचारिक संवाद है। यह कहा जाए कि बच्चों की इस संगत में हर दिन जीवन के किसी न किसी कटु यथार्थ से वे टकराती हैं तो यह कोई अतिशयोक्ति भरा कथन नहीं है। जीवन के यथार्थ से यह टकराहट कई बार किसी कवि को भीतर से रूखा बनाकर भाषिक रूप में आक्रोशित भी कर सकता है । ममता जयंत की कविताओं में इस आक्रोश को जगह-जगह उभरते हुए महसूसा जा सकता है। यह बात ध्यातव्य है कि इस आक्रोश में एक तरलता और मुलायमियत है। इसमें कहीं हिंसा का भाव नहीं है बल्कि उद्दात्त मानवीय संवेदना के भाव की पीड़ा को यह आक्रोश सामने रखता है । नीचे कविता की कुछ पंक्तियों को देखिए, ये पंक्तियाँ उसी आक्रोश की संवाहक हैं - सोचना!  सो...

शिक्षकों की इन समस्याओं को है समाधान की दरकार : “शालेय शिक्षक संघ ने जतायी उम्मीद, शिक्षकों को निराश नहीं करेगी विष्णुदेव सरकार”..

  शिक्षकों की इन समस्याओं को है समाधान की दरकार : “शालेय शिक्षक संघ ने जतायी उम्मीद, शिक्षकों को निराश नहीं करेगी विष्णुदेव सरकार”.. छ्ग कैबिनेट से प्रदेश के कर्मचारियों को है बड़ी उम्मीदें, क्योंकि अब तक कर्मचारी लाभ से रहे वँचित Facebook रायपुर 5 मार्च 2024।  शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे के नेतृत्व मे संगठन का प्रदेश प्रतिनिधिमंडल जिनमें प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा, प्रदेश कार्यकारिणी अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने छ्ग शासन को प्रदेश के शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और शिक्षामंत्री बृजमोहन अग्रवाल तथा वित्तमंत्री ओ पी चौधरी के समक्ष रखते हुए इन मांगो को यथाशीघ्र पूर्ण करने का आग्रह किया है। प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने जिन समस्याओ को शासन के समक्ष रखा वे निम्नांकित हैं – उच्चतर वेतनमान:-  शिक्षक एल बी संवर्ग के लिए उच्चतर वेतनमान – क्रमोन्नत/समयमान की पात्रता के लिए कुल सेवा अवधि की गणना संविलियन दिनांक से की जा रही है अतः 1994-95 से लगातार अपनी सेवाएं दे रहे कर्मचारी अभी भी उच्चतर व...

रायगढ़ जिले के विभिन्न आयोजनों में शामिल होंगे वित्त मंत्री ओम प्रकाश चौधरी। महापल्ली में उनके हाथों स्व.हेमसुंदर गुप्त की मूर्ति का होगा अनावरण

रायगढ़ । रायगढ़ विधायक एवम  सूबे के वित्त मंत्री ओपी चौधरी गुरुवार 7 मार्च 2024 को रायगढ़ जिले के विभिन्न आयोजनों में शामिल होंगे। निर्धारित दौरे के मुताबिक इन आयोजनों में शामिल होने के लिए वे प्रातः 8 बजे रायपुर से सड़क मार्ग द्वारा कार से रवाना होकर 12 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का लोकार्पण करने के लिए पुसौर पहुंचेंगे।आयोजन उपरांत पुसौर से रायगढ़ के लिए वे रवाना हो जाएंगे और एक बजे रायगढ़ मिनी स्टेडियम में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना कार्यक्रम में शामिल होंगे।रायगढ़ में ही अपरान्ह 1.30 बजे डिग्री कॉलेज रायगढ़ के वार्षिकोत्सव आयोजन में वे शामिल होकर विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ाएंगे। रायगढ़ से ग्राम जुरडा के लिए वे फिर रवाना हो जाएंगे और अपरान्ह 3 बजे ग्राम जुरडा में आयोजित जिला स्तरीय पशु मेला कार्यक्रम में शामिल होंगे और ग्रामीणों से संवाद भी करेंगे। कल के उनके व्यस्त कार्यक्रम में जो अंतिम कार्यक्रम है वह महापल्ली ग्राम में सम्पन्न होगा जहां वे  स्वर्गीय हेमसुंदर गुप्त की मूर्ति का अनावरण करेंगे और साथ ही सभा को संबोधित करेंगे। महापल्ली के इस आयोजन में उनके साथ पूर्व विध...

रघुनंदन त्रिवेदी की कहानी : हम दोनों

स्व.रघुनंदन त्रिवेदी मेरे प्रिय कथाकाराें में से एक रहे हैं ! आज 17 जनवरी उनका जन्म दिवस है।  आम जन जीवन की व्यथा और मन की बारिकियाें काे अपनी कहानियाें में मौलिक ढंग से व्यक्त करने में वे सिद्धहस्त थे। कम उम्र में उनका जाना हिंदी के पाठकों को अखरता है। बहुत पहले कथादेश में उनकी काेई कहानी पढी थी जिसकी धुंधली सी याद मन में है ! आदमी काे अपनी चीजाें से ज्यादा दूसराें की चीजें  अधिक पसंद आती हैं और आदमी का मन खिन्न हाेते रहता है ! आदमी घर बनाता है पर उसे दूसराें के घर अधिक पसंद आते हैं और अपने घर में उसे कमियां नजर आने लगती हैं ! आदमी शादी करता है पर किसी खूबसूरत औरत काे देखकर अपनी पत्नी में उसे कमियां नजर आने लगती हैं ! इस तरह की अनेक मानवीय मन की कमजाेरियाें काे बेहद संजीदा ढंग से कहानीकार पाठकाें के सामने प्रस्तुत करते हैं ! मनुष्य अपने आप से कभी संतुष्ट नहीं रहता, उसे हमेशा लगता है कि दुनियां थाेडी इधर से उधर हाेती ताे कितना अच्छा हाेता !आए दिन लाेग ऐसी मन: स्थितियाें से गुजर रहे हैं , कहानियां भी लाेगाें काे राह दिखाने का काम करती हैं अगर ठीक ढंग से उन पर हम अपना ध्यान केन्...

परदेशी राम वर्मा की कहानी दोगला

परदेशी राम वर्मा की कहानी दोगला वागर्थ के फरवरी 2024 अंक में है। कहानी विभिन्न स्तरों पर जाति धर्म सम्प्रदाय जैसे ज्वलन्त मुद्दों को लेकर सामने आती है।  पालतू कुत्ते झब्बू के बहाने एक नास्टेल्जिक आदमी के भीतर सामाजिक रूढ़ियों की जड़ता और दम्भ उफान पर होते हैं,उसका चित्रण जिस तरह कहानी में आता है वह ध्यान खींचता है। दरअसल मनुष्य के इसी दम्भ और अहंकार को उदघाटित करने की ओर यह कहानी गतिमान होती हुई प्रतीत होती है। पालतू पेट्स झब्बू और पुत्र सोनू के जीवन में घटित प्रेम और शारीरिक जरूरतों से जुड़ी घटनाओं की तुलना के बहाने कहानी एक बड़े सामाजिक विमर्श की ओर आगे बढ़ती है। पेट्स झब्बू के जीवन से जुड़ी घटनाओं के उपरांत जब अपने पुत्र सोनू के जीवन से जुड़े प्रेम प्रसंग की घटना उसकी आँखों के सामने घटित होते हैं तब उसके भीतर की सामाजिक जड़ता एवं दम्भ भरभरा कर बिखर जाते हैं। जाति, समाज, धर्म जैसे मुद्दे आदमी को झूठे दम्भ से जकड़े रहते हैं। इनकी बंधी बंधाई दीवारों को जो लांघता है वह समाज की नज़र में दोगला होने लगता है। जाति धर्म की रूढ़ियों में जकड़ा समाज मनुष्य को दम्भी और अहंकारी भी बनाता है। कहानी इन दीवा...

रायगढ़ के राजाओं का शिकारगाह उर्फ रानी महल raigarh ke rajaon ka shikargah urf ranimahal.

  रायगढ़ के चक्रधरनगर से लेकर बोईरदादर तक का समूचा इलाका आज से पचहत्तर अस्सी साल पहले घने जंगलों वाला इलाका था । इन दोनों इलाकों के मध्य रजवाड़े के समय कई तालाब हुआ करते थे । अमरैयां , बाग़ बगीचों की प्राकृतिक संपदा से दूर दूर तक समूचा इलाका समृद्ध था । घने जंगलों की वजह से पशु पक्षी और जंगली जानवरों की अधिकता भी उन दिनों की एक ख़ास विशेषता थी ।  आज रानी महल के नाम से जाना जाने वाला जीर्ण-शीर्ण भवन, जिसकी चर्चा आगे मैं करने जा रहा हूँ , वर्तमान में वह शासकीय कृषि महाविद्यालय रायगढ़ के निकट श्रीकुंज से इंदिरा विहार की ओर जाने वाली सड़क के किनारे एक मोड़ पर मौजूद है । यह भवन वर्तमान में जहाँ पर स्थित है वह समूचा क्षेत्र अब कृषि विज्ञान अनुसन्धान केंद्र के अधीन है । उसके आसपास कृषि महाविद्यालय और उससे सम्बद्ध बालिका हॉस्टल तथा बालक हॉस्टल भी स्थित हैं । यह समूचा इलाका एकदम हरा भरा है क्योंकि यहाँ कृषि अनुसंधान केंद्र के माध्यम से लगभग सौ एकड़ में धान एवं अन्य फसलों की खेती होती है।यहां के पुराने वासिंदे बताते हैं कि रानी महल वाला यह इलाका सत्तर अस्सी साल पहले एकदम घनघोर जंगल हुआ करता था ...

2025-26 के इस बजट से मायूस हुए 16000 एन एच एम स्वास्थ्य संविदा कर्मचारी. छत्तीसगढ़ एन.एच.एम. कर्मचारियों के लिए बजट में कुछ भी नहीं है खास

2025-26 के इस बजट से मायूस हुए 16000 एन एच एम स्वास्थ्य संविदा कर्मचारी. छत्तीसगढ़ एन.एच.एम. कर्मचारियों के लिए बजट में कुछ भी नहीं. करोना योद्धा कर्मचारियों में भारी निराशा घोषित 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि के लिए कई बार मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों से मुलाकत कर चुके हैं. छत्तीसगढ़ एन.एच.एम. कर्मचारी  बड़े आंदोलन की तैयारी में एन एच एम कर्मियों के आंदोलन में जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था होगी प्रभावित “एनएचएम कर्मचारीयों को पूर्व घोषित 27 प्रतिशत वेतन-वृद्धि, सहित 18 बिंदु मांग को बजट 2025-26 में शामिल करने का था भरोसा रायपुर ।  छत्तीसगढ़ प्रदेश एन.एच.एम. कर्मचारी संघ अपने लंबित मांग को लेकर लगातार आवेदन-निवेदन-ज्ञापन देते आ रहे हैं एवं लम्बे समय से नियमितीकरण सहित 18 बिंदु को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। पिछली सरकार ने 19 जुलाई 2023 अनुपूरक बजट में एन.एच.एम. कर्मियों के वेतन में 27 प्रतिशत की राशि की बढ़ोतरी की घोषणा की थी, जो आज तक अप्राप्त हैं।उक्त संविदा कर्मचारी संघ ने लगातार विभिन्न विधायक/मंत्री सहित मुख्यमंत्री को अपना ज्ञापन दिया था, जिसका आज तक निराकरण नहीं हुआ है, जिससे कर्मचारियों म...

साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2024 की घोषणा हिंदी के लिए गगन गिल और अंग्रेजी के लिए ईस्टरिन किरे पुरस्कृत

गगन गिल जी को उनके कविता संग्रह "मैं जब तक आयी बाहर” के लिए केन्द्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार  साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2024 की घोषणा हिंदी के लिए गगन गिल और अंग्रेजी के लिए ईस्टरिन किरे पुरस्कृत बांग्ला, डोगरी और उर्दू में पुरस्कारों की घोषणा बाद में 8 मार्च 2025 को पुरस्कृत होंगे लेखक नई दिल्ली। 18 दिसंबर 2024; साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेंस में साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2024 की घोषणा की गई। साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बताया कि पुरस्कार 21 भाषाओं के लिए घोषित किए गए हैं, जिनमें आठ कविता-संग्रह, तीन उपन्यास, दो कहानी संग्रह, तीन निबंध, तीन साहित्यिक आलोचना, एक नाटक और एक शोध की पुस्तकें शामिल हैं। बाड़्ला, डोगरी और उर्दू में पुरस्कारों की घोषणा बाद में की जाएगी। पुरस्कारों की अनुशंसा 21 भारतीय भाषाओं की निर्णायक समितियों द्वारा की गई तथा साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष श्री माधव कौशिक की अध्यक्षता में आयोजित अकादेमी के कार्यकारी मंडल की बैठक में आज इन्हें अनुमोदित किया गया। पुरस्कार प्राप्त पुस्तकें हैं (कविता-संग्र...