दिसम्बर रहा Blooming Buds School रायगढ़ के इन प्यारे प्यारे बच्चों के नाम
"प्रेम के बिना ज्ञान टिकेगा नहीं। लेकिन प्यार अगर पहले आता है तो ज्ञान का आना निश्चित है।" - जॉन बरोज़
स्कूल के आयोजनों में शरीक होना भला कौन पसंद न करे।आयोजन में छोटे बच्चों की कला प्रतिभा से रूबरू होना हो फिर तो क्या कहने। तो जाते साल के आखरी महीने दिसम्बर की एक बहुत खूबसूरत सी शाम मेरे हिस्से आयी, जब गुलाबी ठंड के बीच लोचन नगर स्थित Blooming Buds School Raigarh के एनुअल कल्चरल मीट में स्कूल प्रबंधन के सौजन्य से बतौर मुख्य अतिथि मुझे शामिल होने का अवसर मिला।23 दिसम्बर शाम 5 से 6.30 के मध्य छोटे छोटे, प्यारे प्यारे बच्चों के पेरेंट्स की भरपूर उपस्थिति थी।उनमें भरपूर उत्साह था। एक हेल्दी और सकारात्मक वातावरण से पॉलिटेक्निक ऑडिटोरियम श्रोताओं की भरपूर उपस्थिति लिए हुए गुलज़ार हो उठा था।
श्रीमती जागृति प्रभाकर मेडम , जो स्कूल संचालन में डायरेक्टर की भूमिका का निर्वहन करती हैं, उनके निर्देशन में विद्यालय के सम्मानित टीचर्स द्वारा बच्चों के माध्यम से जो प्रस्तुतियाँ करवायीं गईं,उन नृत्य कला की प्रस्तुतियों ने सबका दिल जीत लिया। नर्सरी और केजी के बच्चे जो कि अपनी उम्र के हिसाब से अंगुली पकड़कर चलना फिरना ही सीख रहे होते हैं , उनसे इस तरह अनुशासित और सुंदर ,आकर्षक ढंग से प्रस्तुती करवा लेना जरूर एक चुनौती भरा काम रहा होगा।
यह कोई अतिशयोक्ति जैसी बात नहीं होगी कि इन सबके पीछे Blooming Buds स्टॉफ की लंबे समय की मेहनत ही है। छोटे बच्चों को जहां भी प्यार और भय मुक्त वातावरण मिले, वे खेल खेल में इतना कुछ सीख जाते हैं कि हम बड़ों को आश्चर्यचकित होना पड़ता है।
इन बच्चों के हाव भाव,उनके कॉस्ट्यूम डिज़ाइन और कला प्रस्तुतियों ने मुझे भी आश्चर्यचकित किया। कहना न होगा कि मेहनती और बेहतर हाथ , बेहतर जगहें , कच्ची उम्र के अनगढ़ बच्चों को भी सुघड़ बना देती हैं। बच्चों को प्रेम से सिखाया जाए तो वे सब कुछ सीख जाते हैं। ज्ञान तक पहुंचने का यह सबसे सुगम रास्ता है।बच्चों के अंदर जीवन मूल्यों के डेवलपमेन्ट के क्रमिक विकास की यह प्रभावी विधि भी है । जॉन बरोज़ के रास्ते के अनुगामी Blooming Buds स्कूल प्रबंधन, समस्त अभिभावकों और प्यारे प्यारे बच्चों को इस अच्छे आयोजन की बधाई और नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं💐
■रमेश शर्मा
रायगढ़ छत्तीसगढ़
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