सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

छत्तीसगढ़ विधान सभा के ‘‘रजत जयंती वर्ष "पर मान. राष्ट्रपति महोदया का विधानसभा आगमन - मान. राष्ट्रपति महोदया ने किया विधान सभा के मान. सदस्यों को सम्बोधित

 

छत्तीसगढ़ विधान सभा के ‘‘रजत जयंती वर्ष "पर मान. राष्ट्रपति महोदया का विधानसभा आगमन

- मान. राष्ट्रपति महोदया ने किया विधान सभा के मान. सदस्यों को सम्बोधित

राष्ट्रपति महोदया का सम्मान करते हुए अध्यक्ष डॉ रमन सिंह 

 

           छत्तीसगढ़ विधान सभा के “रजत जयंती वर्ष” के अवसर पर माननीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मु भारत की राष्ट्रपति ने आज विधानसभा के सदन में प्रदेश के मान. विधायकों को संबोधित किया। मान. राष्ट्रपति ने इस अवसर पर सेन्ट्रल हॉल के सामने “कदम्ब” का पौधा लगाया। इस अवसर पर माननीया राष्ट्रपति जी के साथ छत्तीसगढ विधान सभा के सभी मान. सदस्यों का सेन्ट्रल हॉल में समूह छायाचित्र भी हुआ। इस अवसर पर मान. राज्यपाल श्री रमेन डेका, मान. विधान सभा अध्यक्ष  डॉ. रमन सिंह, मान. मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, मान. नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, मान. संसदीय कार्य मंत्री श्री केदार कश्यप, विधान सभा सचिव श्री दिनेश शर्मा, मान. राष्ट्रपति के सचिव श्रीमती दीप्ती उमाशंकर एवं राज्यपाल के सचिव श्री डॉ. सी. आर. प्रसन्ना आदि उपस्थित थे।

सभा को संबोधित करतीं हुई राष्ट्रपति महोदया 

मान. राष्ट्रपति महोदया इसके पश्चात् चल समारोह के साथ छत्तीसगढ विधान सभा के सभा गृह में पहुंची एवं वहाँ उन्होंने छत्तीसगढ़ विधान सभा के मान. सदस्यों को संबोधित किया। इस अवसर पर मान. राज्यपाल श्री रमेन डेका ने ‘‘सदस्य संदर्भ’’ पुस्तक का विमोचन किया एवं इस पुस्तक की प्रथम प्रति मान. श्रीमती द्रौपदी मुर्मु भारत की राष्ट्रपति को भेंट की।

राष्ट्रपति महोदया का सम्मान करते हुए राज्यपाल रमेन डेका

मान. राष्ट्रपति महोदया ने अपनी भाषण की शुरूआत छत्तीसगढ़ विधान सभा के पच्चीसवें वर्ष के उत्सव की गाड़ा-गाड़ा बधाई के साथ की ।

राष्ट्रपति महोदया का सम्मान करते हुए मुख्य मंत्री विष्णु देव साय

उन्होंने कहा ‘छत्तीसगढ़िया सब ले बढ़िया’। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ विधान सभा ने लोकतान्त्रिक परम्पराओं के उच्चतम मानक स्थापित किए हैं। छत्तीसगढ़ विधान सभा ने सदन की कार्रवाई के दौरान गर्भगृह में आ जाने वाले सदस्यों के स्वमेव निलंबन का असाधारण नियम बनाया तथा उसका पालन किया है।

राष्ट्रपति महोदया का सम्मान करते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉ चरण दास महंत 

25 वर्षों के दौरान कभी भी मार्शल का उपयोग नहीं करना पड़ा। छत्तीसगढ़ विधान सभा ने केवल शेष भारत ही नहीं बल्कि विश्व की सभी लोकतांत्रिक प्रणालियों के सामने श्रेष्ठ संसदीय आचरण का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है।
राष्ट्रपति महोदया का सम्मान करते हुए विधान सभा सचिव दिनेश शर्मा 

उन्होंने महिला विभूति मिनी-माता का पुण्य स्मरण करते हुए कहा कि लोगों के कल्याण और उत्थान के लिए उनके द्वारा किये गये निरंतर कार्य को याद किया।

उन्होंने कहा कि-इस सदन के सभी विधायकों को, विशेषकर महिला विधायकों को, यह प्रयास करना चाहिए कि अगली विधान सभा में महिला सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी हो। महिला विधायकों की संख्या में वृद्धि, ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ की भावना के अनुरूप होगी।

सदन में सदस्यों के साथ समूह चित्र 

उन्होंने कहा कि-छत्तीसगढ़ विधान सभा ने समावेशी कल्याण एवं विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए हैं। रूढ़ियों पर आधारित प्रताड़ना से समाज को, विशेषकर महिलाओं को, मुक्त करने का अधिनियम समाज को छत्तीसगढ़ विधान सभा का एक ऐतिहासिक योगदान है।

उन्होंने कहा कि-वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य अंतिम और निर्णायक दौर में पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोग विकास के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं। मुझे विश्वास है कि छत्तीसगढ़ को उग्रवाद से पूर्णतया मुक्त करने के प्रयास में आप सब शीघ्र ही सफलता प्राप्त करेंगे ।

विधान सभा परिसर में कदम्ब का पेड़ रोपती हुई राष्ट्रपति महोदया 

उन्होने कहा कि-गुरु घासीदास जी का ‘मनखे-मनखे एक समान’ अर्थात ‘सभी मनुष्य एक समान हैं’ का आदर्श आज भी विद्यमान है।

इसके पूर्व अपने स्वागत संबोधन में विधान सभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि- छत्तीसगढ़ विधानसभा में यह तीसरा अवसर है जब सभा के माननीय सदस्यों को सम्बोधित करने हेतु भारत के राष्ट्रपति जी का विधानसभा में आगमन हुआ है। सबसे प्रथम भारतरत्न राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी ने द्वितीय विधानसभा के कार्यकाल में सभा को सम्बोधित किया पश्चात् तृतीय विधानसभा के कार्यकाल में मान. राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी पाटिल जी का आगमन हुआ था। विधानसभा आगमन के इन तीनों अवसरों का उन्हें साक्षी होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होने कहा कि-वर्तमान वर्ष छत्तीसगढ़ विधानसभा की स्थापना रजत जयंती वर्ष है। और मै यह बताते हुए गौरवान्वित महसूस कर हूँ कि विगत 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ विधानसभा ने संसदीय परम्पराओं और प्रक्रियाओं के पालन कर अपने कार्यां से लोकतान्त्रिक मूल्यों को सुदृढ़ता प्रदान की है। छत्तीसगढ़ राज्य की विधान सभा ने नवम्बर 2005 में अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों एवं सचिवों का सम्मेलन एवं वर्ष 2010 में चतुर्थ भारत एवं एशिया क्षेत्र राष्ट्रकुल संसदीय सम्मेलन आयोजित कर संसदीय परिदृश्य में महत्वपूर्ण स्थान बनाया है।

छत्तीसगढ़ विधान सभा ने अनेक महत्त्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया है। जिसमें वर्ष 2005 में मातृशक्ति के सम्मान को सुरक्षित रखने की दृष्टि से टोनही प्रताड़ना निवारण, वहीं वर्ष 2011 में छत्तीसगढ़ लोक सेवा गारन्टी विधेयक पारित हुआ, वर्ष 2012 में खाद्य सुरक्षा विधेयक पारित कर पूज्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की अंत्योदय विकास की विचारधारा को व्यवहारिक स्वरूप प्रदान किया।

छत्तीसगढ़ विधानसभा की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि यहां पक्ष-प्रतिपक्ष के माननीय सदस्यों के मध्य प्रत्येक परिस्थिति में समादर और संसदीय आचरण का भाव सदैव विद्यमान रहा है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा संसदीय प्रक्रियाओं और परम्पराओं को प्रोत्साहित करने हेतु कृत संकल्पित है।

उन्होंने यह भी कहा कि-मान. राष्ट्रपति महोदया जी मै आपको यह भी अवगत कराना चाहूंगा कि वर्तमान भवन राज्य बनने के पश्चात् सभा संचालन हेतु हमारी वैकल्पिक व्यवस्था है। हमारी यह विधानसभा शीघ्र ही नया रायपुर स्थित नवीन विधानसभा भवन में स्थानांतरित होगी। इस विधानसभा की सुखद स्मृतियों में एक पृष्ठ और जुड़ गया जब आप अपनी व्यस्ततम दिनचर्या के मध्य हमारे आमंत्रण को स्वीकार करते हुए सभा के सदस्यों को सम्बोधित करने हेतु कृपा पूर्वक सहमति प्रदान की।

इस अवसर पर अपने उदबोधन में मान. राज्यपाल श्री रमेन डेका ने कहा कि-छत्तीसगढ़ विधानसभा ने अपनी 25 वर्ष की इस यात्रा में संसदीय परंपराओं और लोकतांत्रिक मूल्यों को परिभाषित एवं संवाहित किया है। छत्तीसगढ़ विधानसभा ने गर्भगृह ने प्रवेश पर स्वमेव निलंबन का नियम बनाया है जो अनुकरणीय है। इन 25 वर्षों छत्तीसगढ़ विधान सभा ने न केवल लोक हितकारी कानून बनाये वरण राज्य के हर कोने तक समृद्धि एवं न्याय पहुंचाने का कार्य किया है। राज्य की नीतियों एवं कार्यक्रमों ने राज्य को आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृति रूप से सशक्त किया है। आज छत्तीसढ़ देश का स्टील और ऊर्जा उत्पादक राज्य है। छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य राज्य है।

इस अवसर पर मान. मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अपने संबोधन में कहा कि- छत्तीसगढ़ राज्य और छत्तीसगढ़ की विधानसभा अपना रजत जयंती वर्ष मना रहा हैं। वर्ष 2000 में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया। संयोग से यह वर्ष उनका जन्म शताब्दी वर्ष भी है। इसे हम अटल निर्माण वर्ष के रूप में भी मना रहे हैं। हमारी विधानसभा की 25 वर्षों की यात्रा लोकतंत्र की सुदृढ़ परंपराओं का प्रमाण है।

उन्होंने कहा कि-लोकतंत्र की जड़ें भारत में वैदिक काल से ही मजबूत रही हैं, और हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हमें प्रदेश की जनता की सेवा करने का अवसर मिला है।

उन्होंने कहा कि-संसदीय परंपराओं को सहेजने एवं इनके संवर्धन में छत्तीसगढ़ विधानसभा ने बहुत अच्छा काम किया है। हम सभी मिलकर विकसित भारत और विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध हैं।

इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने भी मान. राष्ट्रपति जी को विधान सभा के रजत जयंती वर्ष में आगमन एवं मान. सदस्यों को सबंधित करने के लिए उनका आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर मान. श्रीमती द्रौपदी मुर्मु भारत की राष्ट्रपति को सदन में मान. राज्यपाल श्री रमेन डेका, मान. विधान सभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, मान. मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, मान. नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने साल श्रीफल, एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

 

टिप्पणियाँ

इन्हें भी पढ़ते चलें...

कौन हैं ओमा द अक और इनदिनों क्यों चर्चा में हैं।

आज अनुग्रह के पाठकों से हम ऐसे शख्स का परिचय कराने जा रहे हैं जो इन दिनों देश के बुद्धिजीवियों के बीच खासा चर्चे में हैं। आखिर उनकी चर्चा क्यों हो रही है इसको जानने के लिए इस आलेख को पढ़ा जाना जरूरी है। किताब: महंगी कविता, कीमत पच्चीस हजार रूपये  आध्यात्मिक विचारक ओमा द अक् का जन्म भारत की आध्यात्मिक राजधानी काशी में हुआ। महिलाओं सा चेहरा और महिलाओं जैसी आवाज के कारण इनको सुनते हुए या देखते हुए भ्रम होता है जबकि वे एक पुरुष संत हैं । ये शुरू से ही क्रान्तिकारी विचारधारा के रहे हैं । अपने बचपन से ही शास्त्रों और पुराणों का अध्ययन प्रारम्भ करने वाले ओमा द अक विज्ञान और ज्योतिष में भी गहन रुचि रखते हैं। इन्हें पारम्परिक शिक्षा पद्धति (स्कूली शिक्षा) में कभी भी रुचि नहीं रही ।  इन्होंने बी. ए. प्रथम वर्ष उत्तीर्ण करने के पश्चात ही पढ़ाई छोड़ दी किन्तु उनका पढ़ना-लिखना कभी नहीं छूटा। वे हज़ारों कविताएँ, सैकड़ों लेख, कुछ कहानियाँ और नाटक भी लिख चुके हैं। हिन्दी और उर्दू में  उनकी लिखी अनेक रचनाएँ  हैं जिनमें से कुछ एक देश-विदेश की कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक...

जैनेंद्र कुमार की कहानी 'अपना अपना भाग्य' और मन में आते जाते कुछ सवाल

कहानी 'अपना अपना भाग्य' की कसौटी पर समाज का चरित्र कितना खरा उतरता है इस विमर्श के पहले जैनेंद्र कुमार की कहानी अपना अपना भाग्य पढ़ते हुए कहानी में वर्णित भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियों के जीवंत दृश्य कहानी से हमें जोड़ते हैं। यह जुड़ाव इसलिए घनीभूत होता है क्योंकि हमारी संवेदना उस कहानी से जुड़ती चली जाती है । पहाड़ी क्षेत्र में रात के दृश्य और कड़ाके की ठंड के बीच एक बेघर बच्चे का शहर में भटकना पाठकों के भीतर की संवेदना को अनायास कुरेदने लगता है। कहानी अपने साथ कई सवाल छोड़ती हुई चलती है फिर भी जैनेंद्र कुमार ने इन दृश्यों, घटनाओं के माध्यम से कहानी के प्रवाह को गति प्रदान करने में कहानी कला का बखूबी उपयोग किया है। कहानीकार जैनेंद्र कुमार  अभावग्रस्तता , पारिवारिक गरीबी और उस गरीबी की वजह से माता पिता के बीच उपजी बिषमताओं को करीब से देखा समझा हुआ एक स्वाभिमानी और इमानदार गरीब लड़का जो घर से कुछ काम की तलाश में शहर भाग आता है और समाज के संपन्न वर्ग की नृशंस उदासीनता झेलते हुए अंततः रात की जानलेवा सर्दी से ठिठुर कर इस दुनिया से विदा हो जाता है । संपन्न समाज ऎसी घटनाओं को भाग्य से ज...

समकालीन कविता और युवा कवयित्री ममता जयंत की कविताएं

समकालीन कविता और युवा कवयित्री ममता जयंत की कविताएं दिल्ली निवासी ममता जयंत लंबे समय से कविताएं लिख रही हैं। उनकी कविताओं को पढ़ते हुए यह बात कही जा सकती है कि उनकी कविताओं में विचार अपनी जगह पहले बनाते हैं फिर कविता के लिए जरूरी विभिन्न कलाएं, जिनमें भाषा, बिम्ब और शिल्प शामिल हैं, धीरे-धीरे जगह तलाशती हुईं कविताओं के साथ जुड़ती जाती हैं। यह शायद इसलिए भी है कि वे पेशे से अध्यापिका हैं और बच्चों से रोज का उनका वैचारिक संवाद है। यह कहा जाए कि बच्चों की इस संगत में हर दिन जीवन के किसी न किसी कटु यथार्थ से वे टकराती हैं तो यह कोई अतिशयोक्ति भरा कथन नहीं है। जीवन के यथार्थ से यह टकराहट कई बार किसी कवि को भीतर से रूखा बनाकर भाषिक रूप में आक्रोशित भी कर सकता है । ममता जयंत की कविताओं में इस आक्रोश को जगह-जगह उभरते हुए महसूसा जा सकता है। यह बात ध्यातव्य है कि इस आक्रोश में एक तरलता और मुलायमियत है। इसमें कहीं हिंसा का भाव नहीं है बल्कि उद्दात्त मानवीय संवेदना के भाव की पीड़ा को यह आक्रोश सामने रखता है । नीचे कविता की कुछ पंक्तियों को देखिए, ये पंक्तियाँ उसी आक्रोश की संवाहक हैं - सोचना!  सो...

शिक्षकों की इन समस्याओं को है समाधान की दरकार : “शालेय शिक्षक संघ ने जतायी उम्मीद, शिक्षकों को निराश नहीं करेगी विष्णुदेव सरकार”..

  शिक्षकों की इन समस्याओं को है समाधान की दरकार : “शालेय शिक्षक संघ ने जतायी उम्मीद, शिक्षकों को निराश नहीं करेगी विष्णुदेव सरकार”.. छ्ग कैबिनेट से प्रदेश के कर्मचारियों को है बड़ी उम्मीदें, क्योंकि अब तक कर्मचारी लाभ से रहे वँचित Facebook रायपुर 5 मार्च 2024।  शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे के नेतृत्व मे संगठन का प्रदेश प्रतिनिधिमंडल जिनमें प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा, प्रदेश कार्यकारिणी अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने छ्ग शासन को प्रदेश के शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और शिक्षामंत्री बृजमोहन अग्रवाल तथा वित्तमंत्री ओ पी चौधरी के समक्ष रखते हुए इन मांगो को यथाशीघ्र पूर्ण करने का आग्रह किया है। प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने जिन समस्याओ को शासन के समक्ष रखा वे निम्नांकित हैं – उच्चतर वेतनमान:-  शिक्षक एल बी संवर्ग के लिए उच्चतर वेतनमान – क्रमोन्नत/समयमान की पात्रता के लिए कुल सेवा अवधि की गणना संविलियन दिनांक से की जा रही है अतः 1994-95 से लगातार अपनी सेवाएं दे रहे कर्मचारी अभी भी उच्चतर व...

रायगढ़ जिले के विभिन्न आयोजनों में शामिल होंगे वित्त मंत्री ओम प्रकाश चौधरी। महापल्ली में उनके हाथों स्व.हेमसुंदर गुप्त की मूर्ति का होगा अनावरण

रायगढ़ । रायगढ़ विधायक एवम  सूबे के वित्त मंत्री ओपी चौधरी गुरुवार 7 मार्च 2024 को रायगढ़ जिले के विभिन्न आयोजनों में शामिल होंगे। निर्धारित दौरे के मुताबिक इन आयोजनों में शामिल होने के लिए वे प्रातः 8 बजे रायपुर से सड़क मार्ग द्वारा कार से रवाना होकर 12 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का लोकार्पण करने के लिए पुसौर पहुंचेंगे।आयोजन उपरांत पुसौर से रायगढ़ के लिए वे रवाना हो जाएंगे और एक बजे रायगढ़ मिनी स्टेडियम में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना कार्यक्रम में शामिल होंगे।रायगढ़ में ही अपरान्ह 1.30 बजे डिग्री कॉलेज रायगढ़ के वार्षिकोत्सव आयोजन में वे शामिल होकर विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ाएंगे। रायगढ़ से ग्राम जुरडा के लिए वे फिर रवाना हो जाएंगे और अपरान्ह 3 बजे ग्राम जुरडा में आयोजित जिला स्तरीय पशु मेला कार्यक्रम में शामिल होंगे और ग्रामीणों से संवाद भी करेंगे। कल के उनके व्यस्त कार्यक्रम में जो अंतिम कार्यक्रम है वह महापल्ली ग्राम में सम्पन्न होगा जहां वे  स्वर्गीय हेमसुंदर गुप्त की मूर्ति का अनावरण करेंगे और साथ ही सभा को संबोधित करेंगे। महापल्ली के इस आयोजन में उनके साथ पूर्व विध...

रघुनंदन त्रिवेदी की कहानी : हम दोनों

स्व.रघुनंदन त्रिवेदी मेरे प्रिय कथाकाराें में से एक रहे हैं ! आज 17 जनवरी उनका जन्म दिवस है।  आम जन जीवन की व्यथा और मन की बारिकियाें काे अपनी कहानियाें में मौलिक ढंग से व्यक्त करने में वे सिद्धहस्त थे। कम उम्र में उनका जाना हिंदी के पाठकों को अखरता है। बहुत पहले कथादेश में उनकी काेई कहानी पढी थी जिसकी धुंधली सी याद मन में है ! आदमी काे अपनी चीजाें से ज्यादा दूसराें की चीजें  अधिक पसंद आती हैं और आदमी का मन खिन्न हाेते रहता है ! आदमी घर बनाता है पर उसे दूसराें के घर अधिक पसंद आते हैं और अपने घर में उसे कमियां नजर आने लगती हैं ! आदमी शादी करता है पर किसी खूबसूरत औरत काे देखकर अपनी पत्नी में उसे कमियां नजर आने लगती हैं ! इस तरह की अनेक मानवीय मन की कमजाेरियाें काे बेहद संजीदा ढंग से कहानीकार पाठकाें के सामने प्रस्तुत करते हैं ! मनुष्य अपने आप से कभी संतुष्ट नहीं रहता, उसे हमेशा लगता है कि दुनियां थाेडी इधर से उधर हाेती ताे कितना अच्छा हाेता !आए दिन लाेग ऐसी मन: स्थितियाें से गुजर रहे हैं , कहानियां भी लाेगाें काे राह दिखाने का काम करती हैं अगर ठीक ढंग से उन पर हम अपना ध्यान केन्...

गंगाधर मेहेर : ओड़िया के लीजेंड कवि gangadhar meher : odiya ke legend kavi

हम हिन्दी में पढ़ने लिखने वाले ज्यादातर लोग हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं के कवियों, रचनाकारों को बहुत कम जानते हैं या यह कहूँ कि बिलकुल नहीं जानते तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ।  इसका एहसास मुझे तब हुआ जब ओड़िसा राज्य के संबलपुर शहर में स्थित गंगाधर मेहेर विश्वविद्यालय में मुझे एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर वक्ता वहां जाकर बोलने का अवसर मिला ।  2 और 3  मार्च 2019 को आयोजित इस दो दिवसीय संगोष्ठी में शामिल होने के बाद मुझे इस बात का एहसास हुआ कि जिस शख्श के नाम पर इस विश्वविद्यालय का नामकरण हुआ है वे ओड़िसा राज्य के ओड़िया भाषा के एक बहुत बड़े कवि हुए हैं और उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से  ओड़िसा राज्य को देश के नक़्शे में थोड़ा और उभारा है। वहां जाते ही इस कवि को जानने समझने की आतुरता मेरे भीतर बहुत सघन होने लगी।वहां जाकर यूनिवर्सिटी के अध्यापकों से , वहां के विद्यार्थियों से गंगाधर मेहेर जैसे बड़े कवि की कविताओं और उनके व्यक्तित्व के बारे में जानकारी जुटाना मेरे लिए बहुत जिज्ञासा और दिलचस्पी का बिषय रहा है। आज ओड़िया भाषा के इस लीजेंड कवि पर अपनी बात रखते हुए मुझे जो खु...

परदेशी राम वर्मा की कहानी दोगला

परदेशी राम वर्मा की कहानी दोगला वागर्थ के फरवरी 2024 अंक में है। कहानी विभिन्न स्तरों पर जाति धर्म सम्प्रदाय जैसे ज्वलन्त मुद्दों को लेकर सामने आती है।  पालतू कुत्ते झब्बू के बहाने एक नास्टेल्जिक आदमी के भीतर सामाजिक रूढ़ियों की जड़ता और दम्भ उफान पर होते हैं,उसका चित्रण जिस तरह कहानी में आता है वह ध्यान खींचता है। दरअसल मनुष्य के इसी दम्भ और अहंकार को उदघाटित करने की ओर यह कहानी गतिमान होती हुई प्रतीत होती है। पालतू पेट्स झब्बू और पुत्र सोनू के जीवन में घटित प्रेम और शारीरिक जरूरतों से जुड़ी घटनाओं की तुलना के बहाने कहानी एक बड़े सामाजिक विमर्श की ओर आगे बढ़ती है। पेट्स झब्बू के जीवन से जुड़ी घटनाओं के उपरांत जब अपने पुत्र सोनू के जीवन से जुड़े प्रेम प्रसंग की घटना उसकी आँखों के सामने घटित होते हैं तब उसके भीतर की सामाजिक जड़ता एवं दम्भ भरभरा कर बिखर जाते हैं। जाति, समाज, धर्म जैसे मुद्दे आदमी को झूठे दम्भ से जकड़े रहते हैं। इनकी बंधी बंधाई दीवारों को जो लांघता है वह समाज की नज़र में दोगला होने लगता है। जाति धर्म की रूढ़ियों में जकड़ा समाज मनुष्य को दम्भी और अहंकारी भी बनाता है। कहानी इन दीवा...

साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2024 की घोषणा हिंदी के लिए गगन गिल और अंग्रेजी के लिए ईस्टरिन किरे पुरस्कृत

गगन गिल जी को उनके कविता संग्रह "मैं जब तक आयी बाहर” के लिए केन्द्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार  साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2024 की घोषणा हिंदी के लिए गगन गिल और अंग्रेजी के लिए ईस्टरिन किरे पुरस्कृत बांग्ला, डोगरी और उर्दू में पुरस्कारों की घोषणा बाद में 8 मार्च 2025 को पुरस्कृत होंगे लेखक नई दिल्ली। 18 दिसंबर 2024; साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेंस में साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2024 की घोषणा की गई। साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बताया कि पुरस्कार 21 भाषाओं के लिए घोषित किए गए हैं, जिनमें आठ कविता-संग्रह, तीन उपन्यास, दो कहानी संग्रह, तीन निबंध, तीन साहित्यिक आलोचना, एक नाटक और एक शोध की पुस्तकें शामिल हैं। बाड़्ला, डोगरी और उर्दू में पुरस्कारों की घोषणा बाद में की जाएगी। पुरस्कारों की अनुशंसा 21 भारतीय भाषाओं की निर्णायक समितियों द्वारा की गई तथा साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष श्री माधव कौशिक की अध्यक्षता में आयोजित अकादेमी के कार्यकारी मंडल की बैठक में आज इन्हें अनुमोदित किया गया। पुरस्कार प्राप्त पुस्तकें हैं (कविता-संग्र...

2025-26 के इस बजट से मायूस हुए 16000 एन एच एम स्वास्थ्य संविदा कर्मचारी. छत्तीसगढ़ एन.एच.एम. कर्मचारियों के लिए बजट में कुछ भी नहीं है खास

2025-26 के इस बजट से मायूस हुए 16000 एन एच एम स्वास्थ्य संविदा कर्मचारी. छत्तीसगढ़ एन.एच.एम. कर्मचारियों के लिए बजट में कुछ भी नहीं. करोना योद्धा कर्मचारियों में भारी निराशा घोषित 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि के लिए कई बार मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों से मुलाकत कर चुके हैं. छत्तीसगढ़ एन.एच.एम. कर्मचारी  बड़े आंदोलन की तैयारी में एन एच एम कर्मियों के आंदोलन में जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था होगी प्रभावित “एनएचएम कर्मचारीयों को पूर्व घोषित 27 प्रतिशत वेतन-वृद्धि, सहित 18 बिंदु मांग को बजट 2025-26 में शामिल करने का था भरोसा रायपुर ।  छत्तीसगढ़ प्रदेश एन.एच.एम. कर्मचारी संघ अपने लंबित मांग को लेकर लगातार आवेदन-निवेदन-ज्ञापन देते आ रहे हैं एवं लम्बे समय से नियमितीकरण सहित 18 बिंदु को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। पिछली सरकार ने 19 जुलाई 2023 अनुपूरक बजट में एन.एच.एम. कर्मियों के वेतन में 27 प्रतिशत की राशि की बढ़ोतरी की घोषणा की थी, जो आज तक अप्राप्त हैं।उक्त संविदा कर्मचारी संघ ने लगातार विभिन्न विधायक/मंत्री सहित मुख्यमंत्री को अपना ज्ञापन दिया था, जिसका आज तक निराकरण नहीं हुआ है, जिससे कर्मचारियों म...