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डॉक्टर उमा अग्रवाल और डॉक्टर कीर्ति नंदा : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर रायगढ़ शहर के दो होनहार युवा महिला चिकित्सकों से जुड़ी बातें

आज 8 मार्च है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस । आज के दिन उन महिलाओं की चर्चा होती है जो अमूमन चर्चा से बाहर होती हैं और चर्चा से बाहर होने के बावजूद अपने कार्यों को बहुत गम्भीरता और कमिटमेंट के साथ नित्य करती रहती हैं।

डॉ कीर्ति नंदा एवं डॉ उमा अग्रवाल 

वर्तमान में हम देखें तो चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी महिला चिकित्सकों की संख्या में  पहले से बहुत बढ़ोतरी हुई है ।इस पेशे पर ध्यान केंद्रित करें तो महसूस होता है कि चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी महिला डॉक्टरों के साथ बहुत समस्याएं भी जुड़ी होती हैं। उन पर काम का बोझ अत्यधिक होता है और साथ ही साथ अपने घर परिवार, बच्चों की जिम्मेदारियों को भी उन्हें देखना संभालना होता है। महिला चिकित्सक यदि स्त्री रोग विशेषज्ञ है और किसी क्षेत्र विशेष में  विशेषज्ञ सर्जन है तो  ऑपरेशन थिएटर में उसे नित्य मानसिक और शारीरिक रूप से संघर्ष करना होता है। किसी भी डॉक्टर के लिए पेशेंट का ऑपरेशन करना बहुत चुनौती भरा काम होता है । कहीं कोई चूक ना हो जाए इस बात का बहुत ध्यान रखना पड़ता है । इस चूक में  पेशेंट के जीवन और मृत्यु का मसला जुड़ा होता है।ऑपरेशन थियेटर में घण्टों  लगातार खड़े होकर मानसिक दबाव में काम करना किसी महिला डॉक्टर के लिए सचमुच एक चुनौती भरा कार्य  है। 

आज हम दो ऐसे ही महिला चिकित्सकों की बात करने वाले हैं जो स्त्री रोग विशेषज्ञ होने के साथ साथ गायनिक लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं । गायनिक लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के विशेषज्ञ  होने के कारण उन्हें   ऑपरेशन थिएटर में अमूमन हर दिन दो चार महिलाओं का ऑपरेशन करना ही पड़ता है।

महिलाओं को स्वस्थ रखने, महिलाओं की जान बचाने के लिए वे हर दिन ऑपरेशन थिएटर में पूरी गम्भीरता और कमिटमेंट के साथ मेहनत करती नजर आती हैं।

रायगढ़ शहर के राजप्रिय हॉस्पिटल में डॉक्टर कीर्ति नंदा और डॉक्टर उमा अग्रवाल गाइनेकोलॉजिस्ट हैं और गायनिक से जुड़ी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का काम भी देखती हैं । दोनों ही अनुभवी हैं और उन्हें दस बारह वर्षों का अनुभव हासिल है।इन महिला डॉक्टरों से कभी मिलिए तो आपको लगेगा कि पेशेंट के प्रति  एक डॉक्टर का सरल स्वभाव और  विनम्रता ऐसी ही होनी चाहिए। वे जिस सरलता से ,प्यार से पेशेंट के साथ पेश आती हैं, उनका यह व्यवहार उनकी विनम्रता को दर्शाता है। डॉक्टरी पेशे की यह पहली शर्त ही है कि वह अपने व्यवहार से पेशेंट में विश्वास जगाए जो कि अब कम ही देखने को मिलता है। इस एथिक्स को इन दोनों ही महिला चिकित्सकों ने जीवित रखा है, जो कि  यहां उल्लेखनीय  बिषय है। इन चिकित्सकों से जुड़ी यह महज लिखी हुई कोरी बातें नहीं हैं बल्कि आंखों देखी और अनुभव से हासिल की हुई बातें हैं । 

हमने पाया है कि दोनों ही महिला चिकित्सक बहुत टीमवर्क से बिना किसी प्रतिस्पर्धा के मिलजुल कर ऐसा काम करती हैं कि कभी भी कोई शिकायत का मौका नहीं देतीं । उनकी टीम ने गायनिक क्षेत्र से जुड़ी कई चुनौती भरे ऑपरेशन लेप्रोस्कोपिक पद्धति से किये हैं जिनकी चर्चा स्थानीय अखबारों में हुई तो है पर कम हुई है। आज के इस विशेष दिन पर अनुग्रह का मानना है कि अपने पाठकों को शहर की दो होनहार  महिला चिकित्सकों से परिचय कराना एक नैतिक दायित्व है। दोनों महिला चिकित्सक इसी तरह लोगों की सेवा करती रहें और समाज को सुंदर बनाने में अपना योगदान देती रहें। हमारी ओर से आज के दिन उन्हें बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

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