★एकेडमिक लेखन एवं हिंदी साहित्य के क्षेत्र में शिक्षक रमेश शर्मा ने किए हैं कई महत्वपूर्ण काम
★रमेश शर्मा की अब तक चार किताबें हुई हैं प्रकाशित
★सन 2012 का मिल चुका है राज्यपाल शिक्षक सम्मान
★अविभाजित मध्यप्रदेश के प्रतिष्ठित कथा लेखकों की कहानियों पर केंद्रित आईसेक्ट द्वारा प्रकाशित किताब "कथा मध्यप्रदेश" में उन्हें किया गया है शामिल
शिक्षक दिवस पर शिक्षकों की रचनात्मकता को लेकर ऐसी बातों का जिक्र होना चाहिए जिससे समाज प्रेरित हो। आज हम उसी रचनात्मकता को लेकर बात करने जा रहे हैं। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चक्रधर नगर में कार्यरत रमेश शर्मा गणित विषय के व्याख्याता हैं पर उन्होंने हिंदी साहित्य अंतर्गत एकेडमिक एवं स्वतंत्र लेखन के क्षेत्र में अपने मौलिक लेखन के जरिये समाज को लगातार प्रेरित करने का कार्य किया है । स्कूली बच्चों के लिए उनके किये गए लेखन कार्य का उल्लेख करें तो उन्होंने छत्तीसगढ़ के बच्चों के लिए कक्षा नवमी हिंदी पाठ्य पुस्तक में बतौर लेखक, लेखक मंडल में शामिल होकर पाठ्य सामग्री के चयन एवं अभ्यास माला के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मिडिल स्कूल के बच्चों के लिए तैयार की गई छत्तीसगढ़ी हिंदी और अंग्रेजी बाईलिंगुअल डिक्शनरी निर्माण में भी वे लेखक मंडल में शामिल रहे हैं। कक्षा पहली एवं दूसरी के लिए भाषा एवं गणित बिषय की किताब के निर्माण में भी बतौर लेखक उन्होंने काम किया है। नई शिक्षा नीति की योजना के तहत बच्चों के लिए लिखी गईं हाल ही में उनकी नौ कहानियाँ एस. सी. ई. आर. टी. द्वारा चयनित होकर अलग अलग छोटी छोटी किताबों के रूप में प्रकाशित हो रही हैं जिसे मिडिल एवं प्राथमिक विद्यालय के बच्चे अपने पाठ्यक्रम में आने वाले दिनों में पढ़ेंगे।
उनके इस महत्वपूर्ण योगदान के कारण उन्हें सन 2012 का राज्यपाल शिक्षक सम्मान भी प्राप्त हो चुका है।
स्वतंत्र लेखन में समकालीन कहानी लेखन के क्षेत्र में उन्होंने राष्ट्रीय केनवास पर पहचान बनाने में भी बड़ी सफलता पाई है। साहित्य के सुप्रतिष्ठित संपादकों की नज़रों से गुजरने के उपरांत उनकी कहानियाँ परिकथा, समकालीन भारतीय साहित्य, मधुमती, हंस , साहित्य अमृत, अक्षर पर्व , विभोम स्वर जैसी साहित्य की प्रथम पंक्ति की पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रही हैं। उनकी लिखी गई समीक्षाएं एवम आलोचना से जुड़े आलेख साहित्यिक पत्रिका हंस , मधुमती , शिवना साहित्यिकी और परिकथा जैसी सुप्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित होकर इनदिनों चर्चा में हैं। उनकी कहानी मुआवजा का मलयालम भाषा में अनुवाद होकर उसका प्रकाशन त्रिवेंद्रम से निकलने वाली मलयालम की प्रसिद्ध पाक्षिक पत्रिका मातृभूमि के गणतंत्र अंक में भी हुआ है। इसका अनुवाद प्रोफेसर बेलायुधन ने किया था ।
उनकी अब तक चार किताबें प्रकाशित हुई हैं।जिनमें तीन कहानी संग्रह 'मुक्ति' , 'एक मरती हुई आवाज़' , 'उस घर की आंखों से' एवं एक कविता संग्रह 'वे खोज रहे थे अपने हिस्से का प्रेम' चर्चित रहे हैं। उनकी कहानियों पर हरियश राय,ललित सुरजन,रजतकृष्ण, प्रेमचंद सहजवाला जैसे महत्वपूर्ण लेखकों ने समय समय पर उल्लेखनीय टिप्पणियाँ भी की हैं।
आज कुछ भी इधर उधर लिखकर स्वयं के खर्च से उसे किताब के रूप में प्रकाशित करने का चलन बढ़ा है पर रमेश शर्मा के सम्बंध में खास बात यह है कि उनकी किताबों में संग्रहित समस्त रचनाएं किसी न किसी प्रतिष्ठित संपादक द्वारा चयनित होकर किसी न किसी प्रतिष्ठित पत्रिका में पूर्व में प्रकाशित हुई हैं फिर उसके बाद ही किताब के रूप में उनका प्रकाशन हुआ है।रचनात्मक लेखन के उच्च स्तर की कसौटी पर उनकी रचनाएं संपादकों के माध्यम से जांच परख के उपरांत ही सामने आई हैं, इसलिए रमेश शर्मा का समूचा लेखन बच्चों और युवाओं के लिए विश्वसनीय है और प्रेरणादाई भी । आकाशवाणी की रेडियो पत्रिका सर्जना अंतर्गत भी उनकी कई कहानियाँ प्रसारित हुई हैं जिनकी चर्चा अक्सर होती रही है। सर्जना में प्रसारित उनकी कहानी उस घर की आंखों से बहुत चर्चित रही है। गांव के लोग और लॉकडाउन राइटर जैसे चर्चित यूट्यूब चैनलों ने उनकी कहानियों का प्रसारण किया है । समाज में जीवन मूल्यों से युक्त विचारों के सम्प्रेषण में उनकी कहानियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं और आगे भी निभाती रहेंगी। एक गणित के अध्यापक का गणित बिषय के अध्यापन के साथ साथ हिंदी साहित्य लेखन के माध्यम से बच्चों को प्रेरित करना बहुत महत्वपूर्ण कार्य है । आज शिक्षक दिवस के अवसर पर उन्हें हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
शिक्षक अगर लेखन के माध्यम से बच्चों को, समाज को प्रेरित करे तो आज के दिन उसकी चर्चा जरूर होनी चाहिए।
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~ बसंत राघव
युवा कवि कहानीकार
पंचवटी नगर रायगढ़ छत्तीसगढ़
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