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कोरोना काल की कहानी : "आपदा में अवसर"

 


" जल्दी कीजिए सर! मेरी ट्रेन छूट जाएगी"

 

"ट्रेन छूट जाएगी ? कौन सी ट्रेन है तुम्हारी?"

 

"जी स्पेशल ट्रेन है।"

 

"स्पेशल ट्रेन है? यह क्या होता है?"

 

"जी इसमें 5 गुना किराया अधिक लगता है।"

 

"5 गुना किराया अधिक लगता है? भाई इस लॉक डाउन में किसने चलवाया इसे?" 

 

"जी रेल मंत्री जी ने चलवाया है सर! "

 

"अच्छा अच्छा! तब तो कुछ सोच समझ कर   ही उन्होंने ऐसा किया होगा ।" 

 

"जल्दी कीजिए सर ! मेरी ट्रेन छूट जाएगी।"

 

"ये टमाटर का रेट कितना है?"

 

"जी 15 रुपए केजी "

 

"15 रुपए केजी ! अरे ये  तो कहीं कहीं 5 रुपए केजी में बिक रहे थे , मैंने फेसबुक पर कहीं पढ़ा है । कहीं-कहीं तो किसान फेंक भी रहे थे इसे । तुम इतने महंगे क्यों बेच रहे हो।"

 

"जी 10 रुपए की खरीदी है सर ! इतने दूर से आया हूं, स्पेशल गाड़ी का किराया देकर इतनी तकलीफ़ उठाकर । क्या पोसाएगा सर! "

 

"10 की खरीदी है? अरे मैंने बोला ना कि यह 5 रुपए में कहीं बिक रहा था।"

 

" हो सकता है सर । पर 15 रुपए  से कम में मुझे नहीं पोसाएगा ।  जल्दी कीजिए सर मेरी ट्रेन छूट जाएगी प्लीज़ ।"

 

"ये लाली भाजी कैसे किलो दे रहे हो?"

 

"जी 30 रुपए सर ! "

 

"30 रुपए ? अरे पिछले हफ्ते तो 20 रुपए बिक रहे थे।"

 

नहीं सर , ये तो 20 रुपए की खरीदी है। जल्दी कीजिए सर मेरी ट्रेन छूट जाएगी प्लीज़।

 

कितने पैसे हुए?

 

"जी २५ रुपए हुए सर !"

 

"अरे कुछ तो कम करो यार ! "

 

"जी पहले ही कम कर दिया हूं सर! अब 25 रुपए की खरीदी पर और क्या कम कर पाऊंगा ?"

 

कुछ तो कम करो, चलो 20 रुपए ले लो।

 

छोड़िए जाने दीजिएदेर हो रही है .... बीस रुपए ही दे दीजिए, नहीं तो मेरी ट्रेन सचमुच छूट जाएगी।

 

"ये लो.. 500 रुपए का नोट है , बीस काटकर बाकी वापिस करो ।"

 

"छुट्टे नहीं हैं क्या सर ? आज  मेरे पास भी नहीं हैं । चलिए जाने दीजिए, फिर कभी आते जाते दे दीजिएगानहीं तो मेरी ट्रेन छूट ही जाएगी।"

 

और वह बेचारा गरीब सब्जी वाला ट्रेन छूट जाने के डर से मिश्रा जी से बिना पैसे लिए ही चला गया। 

 

मिश्रा जी खींसे निपोरने लगे । मन ही मन यह सोचकर बहुत खुश हुए कि भाई कल किसने देखा है ।  

एक तो लॉकडाउन में वे बहुत दिन से ऑफिस नहीं गए थे, इसलिए किसी मुर्गे पर हाथ भी नहीं डाला था, बस तनख्वाह के भरोसे ही अभी उनका घर चल रहा था।

 

घर पहुंचे तो पत्नी को खुश होकर बताने लगे "आज 25 रुपए की ऊपरी कमाई हो गई "

 

कैसे? पत्नी भी खुश होकर पूछ बैठी

 

जानते तो हो मुझे। समय देखकर कौन सी चालाकी करनी चाहिए यह मैंने अपने बाप से ही सीखा है। मेरे पास छुट्टे थे, पर मैंने छुट्टे देने के बजाय सब्जी वाले को पांच सौ का नोट थमा दिया । मैं भांप लिया था कि उसके पास छुट्टे  हैं नहींउस पर बेचारे की ट्रेन छूट रही थी इसलिए वह बिना पैसे लिए ही चला गया।

 

" तुम भी न ... आखिर रहोगे तो कमीने   के कमीने ही !  " .... बोलते बोलते  पत्नी भी ठठा कर हंस पड़ी ।

 

रमेश शर्मा 

92 श्रीकुंज , बोईरदादर , रायगढ़ (छत्तीसगढ़)

मो.7722975017

 

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