सुमित पर रंगों का गहरा असर था . लाल रंग देखते ही वह चहक उठता .
एक बार मालिनी ने उससे पूछा - तुम्हें लाल रंग
इतने पसंद क्यों हैं ?"
सुमित बताने लगा - "जब सबसे पहले उसके पसंद
की साड़ी उसकी मम्मी के लिए दुकान पर जाकर खरीदी गयी तो उसका रंग लाल था ."
मालिनी ने पूछा - "उस वक्त क्या तुम्हारे
मम्मी पापा भी तुम्हारे साथ थे ?
सुमित ने हाँ कहते हुए मालिनी की तरफ देखकर उसका अभिवादन किया .
मालिनी ने फिर पूछ लिया - "तुम्हें और कौन
कौन से रंग पसंद हैं सुमित ?"
सुमित रंगों के बारे में बताने लगा . वैसे तो मूल रूप से सात रंग होते हैं . बैंगनी , नीला , आसमानी,हरा ,पीला , नीला और लाल . इनमें सारे के सारे रंग कितने खूबसूरत होते हैं . पर मुझे इनमें एक रंग बिलकुल पसंद नहीं .
उस दिन सुमित की बाड़ी में रंग बिरंगे फूल खिले हुए थे .
उन फूलों की तरफ इशारा करते हुए सुमित कहने लगा -
"मम्मी को फूल बहुत पसंद थे. ये फूलों के सारे पौधे मम्मी ने ही लगाये थे . उनका हाथ जिस मिट्टी में लग जाता वहां फूलों के पौधे ऊग जाते ."
फूलों का जिक्र करते हुए सुमित का चेहरा थोड़ा भावुक होने लगा था . मालिनी फूलों को देर तक छूती रही .
वह सुमित से कहने लगी - "कुछ लोग फूलों के
पौधे लगाते हैं . प्रकृति को और अधिक
सुन्दर बनाने की कोशिश करते हैं . तुम्हारी मम्मी उनमें से एक थीं ."
"कुछ लोग ऐसे भी हैं जो केवल फूलों को तोड़ते हैं . मुझे ऐसे लोग पसंद नहीं हैं मालिनी " - सुमित मालिनी से अपने मन के भीतर की बात कह गया .
"मुझे भी ऐसे लोग पसंद नहीं सुमित!" -
मालिनी भी तपाक से कह उठी
सुमित की बाड़ी में साक सब्जी भी ऊगे हुए थे . चिड़ियाँ चहक रही थीं . कितनी सुन्दर लग रही थी सुमित की बाड़ी . मालिनी ने मिट्टी पर हाथ लगाते हुए एक छोटा सा फूल का पौधा लगाने की इच्छा जतायी . सुमित ने उसकी सहायता की .
जिन सात रंगों का जिक्र सुमित ने किया था वे सभी रंग बाड़ी के फूलों में विद्यमान थे.
वे देर तक बाड़ी में घूमते रहे . अमरूद के पेड़ पर
पके हुए अमरूद उन्हें ललचाने लगे. चिड़ियाँ अमरूदों को कुतर कुतर कर नीचे गिरा रहीं
थीं . उन्हें देखकर सुमित कहने लगा - "दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का
नाम"
गुरूनानक देव के इस कथन को सुनकर मालिनी भी खुश
होकर कहने लगी - "सच कहा सुमित ! एकाध अमरूद पर तो मेरा भी नाम लिखा है . मुझे भी अमरूद खानी है ."
सुमित पेड़ से दो तीन अमरूद तोड़ लाया . दोनों आपस में बैठकर अमरूद खाने लगे .
अमरूद खाते खाते मालिनी सुमित से पूछ बैठी -
" तुमने बताया नहीं , तुम्हें कौन सा रंग पसंद नहीं है ?"
सुमित अचानक उदास होकर कहने लगा - "आसमानी
रंग !"
"क्यों ?" - मालिनी बैचैन होकर पूछ
बैठी
सुमित कहने लगा - " इसलिए पसंद नहीं क्योंकि
जिस दिन मम्मी बीमारी से चल बसी थी उस दिन उसके शरीर पर आसमानी रंग की साड़ी थी ."
बातचीत के बाद उन्हें कुछ नहीं सूझ रहा था. कुछ समय के लिए वे दोनों आसमान की ओर ताकने लगे .
सुमित को अचानक लगा जैसे मम्मी आसमान से उसे पुकार रही है .
मानो वह कहना चाह रही हो - " रंगों को नापसंद नहीं करते बेटा ! जिन्दगी में सभी
रंगों को प्रेम से स्वीकार करना सीखो ."
रमेश शर्मा
92 श्रीकुंज , बोईरदादर , रायगढ़
(छत्तीसगढ़) पिन 496001
मो. 7722975017
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