यह जानकर आपको बहुत अजीब लगेगा कि ओड़िशा के पुरी जैसे शहर में जहां प्रतिदिन हजारों पर्यटक घूमने आते हैं, वहां अब एक अदद सिनेमा हॉल तक नहीं बचा है।
श्री कृष्ण सिनेमा हॉल पुरीआप कहेंगे कि लोग वहां सिनेमा देखने थोड़ी आते हैं। अगर बाहर के पर्यटक समय निकालकर सिनेमा नहीं भी देखते तो क्या किसी सुंदर शहर में एक सिनेमा हॉल भी नहीं होना चाहिए? तो इसका उत्तर होगा--बिल्कुल होना चाहिए । आखिर पुरी में जो स्थानीय लोग रहते हैं, उनको भी तो कभी सिनेमा देखने की जरूरत महसूस होती होगी। इस विषय पर इसलिए मैं आज यहां कुछ लिख रहा हूं क्योंकि ओड़िशा की तीर्थ धाम कही जाने वाली नगरी पुरी का सबसे पुराना और आखिरी बचा हुआ थिएटर श्रीकृष्ण सिनेमा हॉल सोमवार 27 मार्च 2023 को ध्वस्त कर जमींदोज कर दिया गया । श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) कार्यालय के पीछे स्थित यह श्रीकृष्ण सिनेमा हॉल को श्री क्षेत्र परिक्रमा परियोजना जिसे श्रीमंदिर हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना भी कहा जाता है , इसी परियोजना के लिए ध्वस्त कर दिया गया।
सिनेमा हॉल मंदिर से सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर था-
इस बिषय को लेकर जो बातें सामने आई हैं जिसके तहत इस सिनेमा हॉल को ध्वस्त किया गया उसे भी जानना बेहद जरूरी है। दरअसल यह जो सिनेमा हॉल था, श्री जगन्नाथ मंदिर से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित था और श्री मंदिर क्षेत्र की जमीन पर ही इसका निर्माण कभी हुआ था।
इस संबंध में और भी जो जानकारियां साझा की गई हैं, उसके मुताबिक सिनेमा हॉल के मालिक को इस सिनेमा हॉल को गिराए जाने के बदले में पर्याप्त मुआवजा भी पहले से ही दे दिया गया है।
इसलिए इसे तोड़ा गया-
इस सिनेमा हॉल को गिराए जाने के पीछे भी पर्याप्त कारण हैं। दरअसल पुरी के जगन्नाथ मंदिर के चारों तरफ श्रीमंदिर हेरिटेज परियोजना के तहत एक सुंदर सा परिसर वर्तमान में बनाया जा रहा है । इस परिसर में सुसज्जित गार्डन इत्यादि भी होंगे और पर्यटकों के लिए प्रशाधन इत्यादि की पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं भी होंगी । इसलिए सिनेमा हॉल की जगह पर खाली हुए भूमि का उपयोग श्रीमंदिर हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना में ही किया जाएगा।
पुरी का श्रीकृष्ण सिनेमा हॉल जिसे ध्वस्त कर दिया गयामजेदार किस्सा यह है कि पुरी में पहले सात सिनेमा हॉल थे, लेकिन फनी नामक चक्रवात के बाद श्रीकृष्ण सिनेमा हॉल को छोड़कर सभी सिनेमाघर इतने क्षतिग्रस्त हुए कि उन्हें बंद ही करना पड़ा। अब श्रीकृष्ण सिनेमा हॉल के विध्वंस के साथ, तीर्थ नगरी पुरी में कोई सिनेमाघर शेष नहीं बचा है।
किसी एक क्षेत्र में चाहे वह सिनेमा हॉल का क्षेत्र ही क्यों ना हो, किसी शहर का इतिहास इस तरह भी हो सकता है कि वहां कोई सिनेमा हॉल ही न बचे तो यह आज के समय में एक चर्चा का विषय तो है और इस पर बातें भी होने लगी हैं।
हमारे रायगढ़ शहर में भी कभी 3 सिनेमा हॉल संचालित थे जिसमें गोपी सिनेमा हॉल सबसे प्रसिद्ध था। श्याम टॉकीज और रामनिवास टॉकीज की भी अपनी खूबियां थीं। काफी लोग सिनेमा देखने वहां जाया करते थे। आज इन तीनों टॉकीजों में केवल रामनिवास टॉकीज भर संचालित हो रहा है, बाकी दो सिनेमा हॉल गोपी टॉकीज और श्याम टॉकीज अब संचालित नहीं हो रहे हैं। गोपी टॉकीज जैसे निजी सिनेमा हॉल को भी हम किसी जमाने में अपनी सभ्यता और संस्कृति से जोड़कर देखते थे । हमें बहुत गर्व होता था कि इतने सुंदर सिनेमा हॉल में हम फिल्म देखने आए हैं। उस सभ्यता और संस्कृति का इतिहास इन टॉकीजों के संचालित ना होने के साथ ही कहीं गुम हो गया।
मॉल कल्चर के कारण भी पहले के परंपरागत सिनेमा हॉल बंद होने के कगार पर पहुंच गए। इन पुराने सिनेमा हॉलों का बंद होना , केवल सिनेमा हॉल का बंद होना भर नहीं है बल्कि किसी शहर का इतिहास, उसकी संस्कृति औऱ उसकी सभ्यता में आए हुए बदलाव का भी यह एक विषय है । इस तरह के विषय चर्चा में इसलिए भी आने लगते हैं क्योंकि ऐसे विषयों से शहर का इतिहास ,सभ्यता, संस्कृति भी जुड़े रहते हैं।
पुरी के वे 7 सिनेमा हॉल जो अब उस शहर में संचालित नहीं हैं,फिलहाल उनको भी जानना जरूरी है। इन 7 सिनेमा हॉलों की सूची निम्नानुसार है-
Janata Cinema Hall
Address - Grand Road, Puri Ho, In Front Of Santoshi Textiles, Puri - 752001
Sriram Cinema Hall
Address - Jaipur Square, Puri Station Road, Near Sakhigopal, Puri - 752002
Laxmi Cinema Hall
Address - Govt Girls High School Road, Puri Ho, Near Ramachandi Temple, Near Ramachandi Sahi, Puri - 752001
Srikrishna Cinema Hall
Address - Grand Road, Puri Ho, Puri - 752001
Bijayshree Talkies
Address - Pipili, Near Pipli Bus Stop, Puri - 752104
Jayashree Talkies
Address - Jayashree Talkies Road, Nimapara, Puri - 752106
Apsara Cinema House
Address - Nayahat, Near State Bank Of India, Puri - 752107
कभी अगर आप पुरी जाएं तो पूर्व में संचालित इन सिनेमाहॉलों की जगहों पर भी घूम आएं। यह भी एक तरह का पर्यटन ही होगा । ऐसे पर्यटन से इतिहास, सभ्यता और संस्कृति को समझने बूझने की एक दृष्टि भी मिलेगी।
रमेश शर्मा रायगढ़ छ. ग.
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