सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

ऑस्कर अवार्ड विजेता फिल्म द एलिफेंट व्हिस्पर्स और मध्यवर्ग की उत्सव धर्मिता

 ऑस्कर अवार्ड 2023 के लिए भारतीय फिल्म द एलिफेंट व्हिस्परर्स को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म के लिए चुना जाना हम सब भारतीयों के लिए गर्व की बात है। यह फिल्म हाथियों और बाकी जानवरों के साथ इंसानों के संबंध को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है। इस कैटेगरी में हॉलआउट, हाउ डू यू मेज़र ए ईयर?, द मार्था मिशेल इफेक्ट और स्ट्रेंजर एट द गेट जैसी बड़ी फिल्मों का नाम भी शामिल था। गुनीत मोंगा निर्मित कार्तिकी गोंसाल्विस की ‘द एलिफेंट व्हिस्पर्स’ को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म का नॉमिनेशन मिला था। 'द एलिफेंट व्हिस्पर्स’ एक तमिल भाषा की डॉक्युमेंट्री फिल्म है जो पिछले साल 8 दिसंबर को रिलीज हुई थी। यह उन लोगों की कहानी है, जो हाथियों के साथ पीढ़ी दर पीढ़ी काम करते रहे हैं और जंगल की जरूरतों के बारे में बहुत जागरूक हैं। 

फिल्म की कहानी एक भारतीय परिवार के ईर्द-गिर्द घूमती है, जो तमिलनाडु के मुदुमलई टाइगर रिजर्व में दो अनाथ हाथी के बच्चों को गोद लेती है। फिल्म में भारतीय परिवार और अनाथ हाथियों के बीच रिश्तों की जबरदस्त बॉन्डिंग को दिखाया गया है। यह फिल्म हाथियों और बाकी जानवरों के साथ इंसानों के संबंध को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है।

जब ये फिल्म रिलीज हुई तो इसको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत तारीफें मिली।  बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा भी इस फिल्म की तारीफ किए बिना नहीं रह पाईं। उन्होंने इंस्टाग्राम स्टोरीज में फिल्म की तारीफ करते हुए लिखा था, ”दिल छू लेने वाली डॉक्यूमेंट्री में से एक, जिसे मैंने हाल ही में देखा। मुझे यह फिल्म बहुत पसंद आई। इस शानदार कहानी को जीवंत करने के लिए कार्तिकी गोंसाल्विस और गुनीत मोंगा को बधाई !"

कोई भी भारतीय हो या सिने जगत से जुड़ा कोई शख्स हो , ज्यादातर लोगों सहित हम सबकी यही कमी है कि हम केवल खुशियां और जश्न मनाने तक ही सीमित रह जाते हैं। किसी पुरस्कार या किसी अवार्ड को पुरस्कार या अवार्ड के रूप में ही देखे जाने की परंपरा भारतीय समाज में बहुत गहराई में जाकर अपनी जड़ें जमा चुकी है। उसके आगे जाकर हम कुछ भी नहीं सोचते या हम कुछ सोचना ही नहीं चाहते । बहुत चिंतन योग्य और वैचारिक चीजों को भी हम एक उत्सव तक ही सीमित कर एक तरह से उसकी महत्ता को कम कर देते हैं।

क्या हमने कभी सोचा है कि भारत में जल जंगल जमीन की लड़ाई वर्षों पुरानी है। आज भी यह लड़ाई जारी है अनेक राज्यों के आदिवासी, जंगलों की रक्षा के लिए, नदियों की रक्षा के लिए, जमीनों की रक्षा के लिए और साथ साथ अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए नीत संघर्षशील हैं।उदाहरण के तौर पर देखें तो हमारे छत्तीसगढ़ में ही हसदेव अरण्य का आंदोलन लंबे समय से चल रहा है। हसदेव जंगल को बचाने के लिए वहां के लोग जी जान से जुटे हुए हैं। यही स्थिति कमोबेश हर राज्यों में है जहां लगातार जंगल नष्ट हो रहे हैं और जीव जंतु इधर-उधर भटकने को बाध्य हैं। भारत में हाथियों के इधर उधर भटकने की समस्या जंगल के नष्ट होने का ही दुष्परिणाम है । पर इस तरफ उत्सव धर्मी लोगों की नजर नहीं जाती। यह बहुत दुर्भाग्य जनक विषय है ।ऑस्कर अवार्ड प्राप्त यह फिल्म हाथियों से प्रेम और उनकी सुरक्षा के बहाने जल, जंगल, जमीन को बचाने की ही तो बात करती है। इन गहरे उद्देश्यों को लेकर निर्मित इस फिल्म को इसी वजह से ऑस्कर अवॉर्ड मिला है जिसके लिए हम आज उत्सव भी मना रहे हैं। इस फिल्म को देखने के उपरांत निश्चय ही हमारी संवेदना जंगली जीवों के प्रति जागृत होती है पर यह संवेदना महज उत्सव तक ही क्यों सीमित रह जाती है? यह एक सामयिक सवाल है जिसकी ओर हम जान बूझ कर नहीं जाते क्योंकि पूंजीवादी ताकतों के साथ कदमताल करना मध्यवर्ग की एक बड़ी मजबूरी है। समाज, राजनीति , कला और साहित्य हर क्षेत्र में आज का मध्य वर्ग केवल उत्सव धर्मी बनकर ही रह गया है जो उसकी संवेदना को संदिग्ध बनाता है। 

हमें केवल उत्सव धर्मी बनकर ही नहीं रह जाना चाहिए बल्कि इस फ़िल्म के पीछे जो गहरे उद्देश्य हैं , उन उद्देश्यों की ओर भी हमारी नजर जानी चाहिए ।  हम किस तरह जल, जंगल और जमीनों की सुरक्षा कर सकें या करने वालों का साथ दे सकें? किस तरह जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हो सकें?

इन सवालों की ओर भी आज लौटने की जरूरत है।

टिप्पणियाँ

  1. बढ़िया चिंतन। चीजों को इस तरह भी देखे जाने की आज जरूरत है।

    जवाब देंहटाएं
  2. ऐसी जागरूकता पूर्ण फिल्मों की जरूरत है लोगों के लिए। अच्छी टिप्पणी

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इन्हें भी पढ़ते चलें...

कौन हैं ओमा द अक और इनदिनों क्यों चर्चा में हैं।

आज अनुग्रह के पाठकों से हम ऐसे शख्स का परिचय कराने जा रहे हैं जो इन दिनों देश के बुद्धिजीवियों के बीच खासा चर्चे में हैं। आखिर उनकी चर्चा क्यों हो रही है इसको जानने के लिए इस आलेख को पढ़ा जाना जरूरी है। किताब: महंगी कविता, कीमत पच्चीस हजार रूपये  आध्यात्मिक विचारक ओमा द अक् का जन्म भारत की आध्यात्मिक राजधानी काशी में हुआ। महिलाओं सा चेहरा और महिलाओं जैसी आवाज के कारण इनको सुनते हुए या देखते हुए भ्रम होता है जबकि वे एक पुरुष संत हैं । ये शुरू से ही क्रान्तिकारी विचारधारा के रहे हैं । अपने बचपन से ही शास्त्रों और पुराणों का अध्ययन प्रारम्भ करने वाले ओमा द अक विज्ञान और ज्योतिष में भी गहन रुचि रखते हैं। इन्हें पारम्परिक शिक्षा पद्धति (स्कूली शिक्षा) में कभी भी रुचि नहीं रही ।  इन्होंने बी. ए. प्रथम वर्ष उत्तीर्ण करने के पश्चात ही पढ़ाई छोड़ दी किन्तु उनका पढ़ना-लिखना कभी नहीं छूटा। वे हज़ारों कविताएँ, सैकड़ों लेख, कुछ कहानियाँ और नाटक भी लिख चुके हैं। हिन्दी और उर्दू में  उनकी लिखी अनेक रचनाएँ  हैं जिनमें से कुछ एक देश-विदेश की कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक...

डॉ. चंद्रिका चौधरी की कहानी : घास की ज़मीन

  डॉ. चंद्रिका चौधरी हमारे छत्तीसगढ़ से हैं और बतौर सहायक प्राध्यापक सरायपाली छत्तीसगढ़ के एक शासकीय कॉलेज में हिंदी बिषय का अध्यापन करती हैं । कहानियों के पठन-पाठन में उनकी गहरी अभिरुचि है। खुशी की बात यह है कि उन्होंने कहानी लिखने की शुरुआत भी की है । हाल में उनकी एक कहानी ' घास की ज़मीन ' साहित्य अमृत के जुलाई 2023 अंक में प्रकाशित हुई है।उनकी कुछ और कहानियाँ प्रकाशन की कतार में हैं। उनकी लिखी इस शुरुआती कहानी के कई संवाद बहुत ह्रदयस्पर्शी हैं । चाहे वह घास और जमीन के बीच रिश्तों के अंतर्संबंध के असंतुलन को लेकर हो , चाहे बसंत की विदाई के उपरांत विरह या दुःख में पेड़ों से पत्तों के पीले होकर झड़ जाने की बात हो , ये सभी संवाद एक स्त्री के परिवार और समाज के बीच रिश्तों के असंतुलन को ठीक ठीक ढंग से व्याख्यायित करते हैं। सवालों को लेकर एक स्त्री की चुप्पी ही जब उसकी भाषा बन जाती है तब सवालों के जवाब अपने आप उस चुप्पी में ध्वनित होने लगते हैं। इस कहानी में एक स्त्री की पीड़ा अव्यक्त रह जाते हुए भी पाठकों के सामने व्यक्त होने जैसी लगती है और यही इस कहानी की खूबी है। घटनाओ...

जैनेंद्र कुमार की कहानी 'अपना अपना भाग्य' और मन में आते जाते कुछ सवाल

कहानी 'अपना अपना भाग्य' की कसौटी पर समाज का चरित्र कितना खरा उतरता है इस विमर्श के पहले जैनेंद्र कुमार की कहानी अपना अपना भाग्य पढ़ते हुए कहानी में वर्णित भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियों के जीवंत दृश्य कहानी से हमें जोड़ते हैं। यह जुड़ाव इसलिए घनीभूत होता है क्योंकि हमारी संवेदना उस कहानी से जुड़ती चली जाती है । पहाड़ी क्षेत्र में रात के दृश्य और कड़ाके की ठंड के बीच एक बेघर बच्चे का शहर में भटकना पाठकों के भीतर की संवेदना को अनायास कुरेदने लगता है। कहानी अपने साथ कई सवाल छोड़ती हुई चलती है फिर भी जैनेंद्र कुमार ने इन दृश्यों, घटनाओं के माध्यम से कहानी के प्रवाह को गति प्रदान करने में कहानी कला का बखूबी उपयोग किया है। कहानीकार जैनेंद्र कुमार  अभावग्रस्तता , पारिवारिक गरीबी और उस गरीबी की वजह से माता पिता के बीच उपजी बिषमताओं को करीब से देखा समझा हुआ एक स्वाभिमानी और इमानदार गरीब लड़का जो घर से कुछ काम की तलाश में शहर भाग आता है और समाज के संपन्न वर्ग की नृशंस उदासीनता झेलते हुए अंततः रात की जानलेवा सर्दी से ठिठुर कर इस दुनिया से विदा हो जाता है । संपन्न समाज ऎसी घटनाओं को भाग्य से ज...

परदेशी राम वर्मा की कहानी दोगला

परदेशी राम वर्मा की कहानी दोगला वागर्थ के फरवरी 2024 अंक में है। कहानी विभिन्न स्तरों पर जाति धर्म सम्प्रदाय जैसे ज्वलन्त मुद्दों को लेकर सामने आती है।  पालतू कुत्ते झब्बू के बहाने एक नास्टेल्जिक आदमी के भीतर सामाजिक रूढ़ियों की जड़ता और दम्भ उफान पर होते हैं,उसका चित्रण जिस तरह कहानी में आता है वह ध्यान खींचता है। दरअसल मनुष्य के इसी दम्भ और अहंकार को उदघाटित करने की ओर यह कहानी गतिमान होती हुई प्रतीत होती है। पालतू पेट्स झब्बू और पुत्र सोनू के जीवन में घटित प्रेम और शारीरिक जरूरतों से जुड़ी घटनाओं की तुलना के बहाने कहानी एक बड़े सामाजिक विमर्श की ओर आगे बढ़ती है। पेट्स झब्बू के जीवन से जुड़ी घटनाओं के उपरांत जब अपने पुत्र सोनू के जीवन से जुड़े प्रेम प्रसंग की घटना उसकी आँखों के सामने घटित होते हैं तब उसके भीतर की सामाजिक जड़ता एवं दम्भ भरभरा कर बिखर जाते हैं। जाति, समाज, धर्म जैसे मुद्दे आदमी को झूठे दम्भ से जकड़े रहते हैं। इनकी बंधी बंधाई दीवारों को जो लांघता है वह समाज की नज़र में दोगला होने लगता है। जाति धर्म की रूढ़ियों में जकड़ा समाज मनुष्य को दम्भी और अहंकारी भी बनाता है। कहानी इन दीवा...

डॉक्टर उमा अग्रवाल और डॉक्टर कीर्ति नंदा : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर रायगढ़ शहर के दो होनहार युवा महिला चिकित्सकों से जुड़ी बातें

आज 8 मार्च है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस । आज के दिन उन महिलाओं की चर्चा होती है जो अमूमन चर्चा से बाहर होती हैं और चर्चा से बाहर होने के बावजूद अपने कार्यों को बहुत गम्भीरता और कमिटमेंट के साथ नित्य करती रहती हैं। डॉ कीर्ति नंदा एवं डॉ उमा अग्रवाल  वर्तमान में हम देखें तो चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी महिला चिकित्सकों की संख्या में  पहले से बहुत बढ़ोतरी हुई है ।इस पेशे पर ध्यान केंद्रित करें तो महसूस होता है कि चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी महिला डॉक्टरों के साथ बहुत समस्याएं भी जुड़ी होती हैं। उन पर काम का बोझ अत्यधिक होता है और साथ ही साथ अपने घर परिवार, बच्चों की जिम्मेदारियों को भी उन्हें देखना संभालना होता है। महिला चिकित्सक यदि स्त्री रोग विशेषज्ञ है और किसी क्षेत्र विशेष में  विशेषज्ञ सर्जन है तो  ऑपरेशन थिएटर में उसे नित्य मानसिक और शारीरिक रूप से संघर्ष करना होता है। किसी भी डॉक्टर के लिए पेशेंट का ऑपरेशन करना बहुत चुनौती भरा काम होता है । कहीं कोई चूक ना हो जाए इस बात का बहुत ध्यान रखना पड़ता है । इस चूक में  पेशेंट के जीवन और मृत्यु का मसला जुड़ा होता है।ऑपरेशन ...

समकालीन कविता और युवा कवयित्री ममता जयंत की कविताएं

समकालीन कविता और युवा कवयित्री ममता जयंत की कविताएं दिल्ली निवासी ममता जयंत लंबे समय से कविताएं लिख रही हैं। उनकी कविताओं को पढ़ते हुए यह बात कही जा सकती है कि उनकी कविताओं में विचार अपनी जगह पहले बनाते हैं फिर कविता के लिए जरूरी विभिन्न कलाएं, जिनमें भाषा, बिम्ब और शिल्प शामिल हैं, धीरे-धीरे जगह तलाशती हुईं कविताओं के साथ जुड़ती जाती हैं। यह शायद इसलिए भी है कि वे पेशे से अध्यापिका हैं और बच्चों से रोज का उनका वैचारिक संवाद है। यह कहा जाए कि बच्चों की इस संगत में हर दिन जीवन के किसी न किसी कटु यथार्थ से वे टकराती हैं तो यह कोई अतिशयोक्ति भरा कथन नहीं है। जीवन के यथार्थ से यह टकराहट कई बार किसी कवि को भीतर से रूखा बनाकर भाषिक रूप में आक्रोशित भी कर सकता है । ममता जयंत की कविताओं में इस आक्रोश को जगह-जगह उभरते हुए महसूसा जा सकता है। यह बात ध्यातव्य है कि इस आक्रोश में एक तरलता और मुलायमियत है। इसमें कहीं हिंसा का भाव नहीं है बल्कि उद्दात्त मानवीय संवेदना के भाव की पीड़ा को यह आक्रोश सामने रखता है । नीचे कविता की कुछ पंक्तियों को देखिए, ये पंक्तियाँ उसी आक्रोश की संवाहक हैं - सोचना!  सो...

शिक्षिका सोना साहू क्रमोन्नत वेतनमान भुगतान सम्बन्धी केस का हुआ निपटारा। बिलासपुर हाइकोर्ट में छत्तीसगढ़ सरकार के आला अफसर रहे मौजूद

क्रमोन्नत वेतनमान को लेकर शिक्षिका सोना साहू के मामले में राज्य शासन ने हाईकोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता शिक्षिका को क्रमोन्नत वेतनमान के तहत 8 लाख 59 हजार 958 रुपये का भुगतान कर दिया गया है। सोना साहू को क्रमोन्नत वेतनमान के भुगतान के साथ ही छत्तीसगढ़ के डेढ़ लाख शिक्षकों में उम्मीद जगी है , पर यह रास्ता उतना आसान नहीं है।  इसके लिए फिर से न्यायालय का रास्ता तय करना पड़ सकता है।  बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के रामानुजगंज की शिक्षिका सोना साहू के लिए मंगलवार का दिन खुशियों भरा रहा। छत्तीसगढ़ शासन ने हाईकोर्ट को बताया कि सोना साहू को क्रमोन्नत वेतनमान के एरियर्स की राशि का भुगतान कर दिया गया है।राशि भुगतान की जानकारी मिलते ही प्रदेश के डेढ़ लाख शिक्षकों के भीतर क्रमोन्नत वेतनमान को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं। हालांकि यह रास्ता दिल्ली दूर है कि तर्ज पर  बहुत लंबा है और अनेक शिक्षकों के क्रमोन्नत वेतनमान सम्बन्धी आवेदन अस्वीकृत हुए हैं। तब भी उनके सामने  उम्मीद जगी है कि देर सवेर न्यायालय के माध्यम से ही सही, सोना साहू की तर्ज पर उन सभी को क्रमोन्नत वेतनमान का लाभ एक दिन मिलेगा।आज म...

रायगढ़ के राजाओं का शिकारगाह उर्फ रानी महल raigarh ke rajaon ka shikargah urf ranimahal.

  रायगढ़ के चक्रधरनगर से लेकर बोईरदादर तक का समूचा इलाका आज से पचहत्तर अस्सी साल पहले घने जंगलों वाला इलाका था । इन दोनों इलाकों के मध्य रजवाड़े के समय कई तालाब हुआ करते थे । अमरैयां , बाग़ बगीचों की प्राकृतिक संपदा से दूर दूर तक समूचा इलाका समृद्ध था । घने जंगलों की वजह से पशु पक्षी और जंगली जानवरों की अधिकता भी उन दिनों की एक ख़ास विशेषता थी ।  आज रानी महल के नाम से जाना जाने वाला जीर्ण-शीर्ण भवन, जिसकी चर्चा आगे मैं करने जा रहा हूँ , वर्तमान में वह शासकीय कृषि महाविद्यालय रायगढ़ के निकट श्रीकुंज से इंदिरा विहार की ओर जाने वाली सड़क के किनारे एक मोड़ पर मौजूद है । यह भवन वर्तमान में जहाँ पर स्थित है वह समूचा क्षेत्र अब कृषि विज्ञान अनुसन्धान केंद्र के अधीन है । उसके आसपास कृषि महाविद्यालय और उससे सम्बद्ध बालिका हॉस्टल तथा बालक हॉस्टल भी स्थित हैं । यह समूचा इलाका एकदम हरा भरा है क्योंकि यहाँ कृषि अनुसंधान केंद्र के माध्यम से लगभग सौ एकड़ में धान एवं अन्य फसलों की खेती होती है।यहां के पुराने वासिंदे बताते हैं कि रानी महल वाला यह इलाका सत्तर अस्सी साल पहले एकदम घनघोर जंगल हुआ करता था ...

21वें राष्ट्रीय ट्रिपल ओ संगोष्ठी 2024 (21st National OOO Symposium 2024) का आयोजन देश के सिल्वर सिटी के नाम से ख्यात ओड़िसा के कटक में सम्पन्न

डेंटल चिकित्सा से जुड़े तीन महत्वपूर्ण ब्रांच OOO【Oral and Maxillofacial Surgery,Oral Pathology, Oral Medicine and Radiology】पर 21वें राष्ट्रीय ट्रिपल ओ संगोष्ठी 2024  (21st National OOO Symposium 2024) का आयोजन देश के सिल्वर सिटी के नाम से ख्यात ओड़िसा के कटक में सम्पन्न हुआ. भारत के सिल्वर सिटी के नाम से प्रसिद्ध ओड़िसा के कटक शहर में 21st National OOO Symposium 2024  का सफल आयोजन 8 मार्च से 10 मार्च तक सम्पन्न हुआ। इसकी मेजबानी सुभाष चंद्र बोस डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल कटक ओड़िसा द्वारा की गई। सम्मेलन का आयोजन एसोसिएशन ऑफ ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन ऑफ इंडिया, (AOMSI) और इंडियन एसोसिएशन ऑफ ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल पैथोलॉजिस्ट (IAOMP) के सहयोग से इंडियन एकेडमी ऑफ ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी (IAOMR) के तत्वावधान में किया गया। Dr.Paridhi Sharma MDS (Oral Medicine and    Radiology)Student एससीबी डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल कटक के ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट की मेजबानी में संपन्न हुए इस नेशनल संगोष्ठी में ओरल मेडिसिन,ओरल रेडियोलॉजी , ओरल मेक्सिलोफेसियल सर्जरी और ओरल प...

रायगढ़ जिले के विभिन्न आयोजनों में शामिल होंगे वित्त मंत्री ओम प्रकाश चौधरी। महापल्ली में उनके हाथों स्व.हेमसुंदर गुप्त की मूर्ति का होगा अनावरण

रायगढ़ । रायगढ़ विधायक एवम  सूबे के वित्त मंत्री ओपी चौधरी गुरुवार 7 मार्च 2024 को रायगढ़ जिले के विभिन्न आयोजनों में शामिल होंगे। निर्धारित दौरे के मुताबिक इन आयोजनों में शामिल होने के लिए वे प्रातः 8 बजे रायपुर से सड़क मार्ग द्वारा कार से रवाना होकर 12 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का लोकार्पण करने के लिए पुसौर पहुंचेंगे।आयोजन उपरांत पुसौर से रायगढ़ के लिए वे रवाना हो जाएंगे और एक बजे रायगढ़ मिनी स्टेडियम में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना कार्यक्रम में शामिल होंगे।रायगढ़ में ही अपरान्ह 1.30 बजे डिग्री कॉलेज रायगढ़ के वार्षिकोत्सव आयोजन में वे शामिल होकर विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ाएंगे। रायगढ़ से ग्राम जुरडा के लिए वे फिर रवाना हो जाएंगे और अपरान्ह 3 बजे ग्राम जुरडा में आयोजित जिला स्तरीय पशु मेला कार्यक्रम में शामिल होंगे और ग्रामीणों से संवाद भी करेंगे। कल के उनके व्यस्त कार्यक्रम में जो अंतिम कार्यक्रम है वह महापल्ली ग्राम में सम्पन्न होगा जहां वे  स्वर्गीय हेमसुंदर गुप्त की मूर्ति का अनावरण करेंगे और साथ ही सभा को संबोधित करेंगे। महापल्ली के इस आयोजन में उनके साथ पूर्व विध...