सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

समीक्षा लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

'अंगूठे पर वसीयत' शोभनाथ शुक्ल के उपन्यास की समीक्षा

  ग्रामीण समाज में नई चेतना का स्थापन ग्रामीण समाज का जिक्र आते ही हमारे मनो मस्तिष्क में रिश्तों की सहजता और लोगों का भोलापन सहज रूप से घर करने लगता है | यह कुछ हद तक सच के करीब भी है पर शहरीकरण और बाजार की घुसपैठ ने इस समाज में भी समय के साथ विकृतियाँ उत्पन्न की हैं | कथाकार शोभनाथ शुक्ल जी का नवीनतम उपन्यास 'अंगूठे पर वसीयत' ग्रामीण समाज के भीतर पसरतीं जा रहीं अनपेक्षित विकृतियों के अनेकानेक रंगों को घटनाओं के माध्यम से चलचित्र की भांति रखता चला जाता है |ग्रामीण समाज में राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर घटित होने वाली घटनाओं का विवरण कुछ इस तरह सिलसिलेवार मिलता है कि उपन्यास के साथ हम एक जिज्ञासु पाठक की हैसियत से जुड़ते हैं और फिर आगे बढ़ने लगते हैं |उपन्यास का केन्द्रीय पात्र 'रामबरन गरीब' समाज के उस आदमी का प्रतिनिधित्व करता है जो समाज में फैली विसंगतियों को लेकर चिंतातुर है| सामाजिक वर्ग भेद जैसी विसंगतियों से बाहर निकल   समाज की बेहतरी जैसी सोच रखना,   यूं तो मानवीय चेतना से संपन्न व्यक्ति का गुण है   जिसकी दुर्लभता से आज का समाज चिंतन के स्तर पर लगातार विपन्न होत...

स्मृति : खगेन्द्र ठाकुर

   कविता की आँख से खगेंद्र ठाकुर के अमूर्त संसार को देखना - रमेश शर्मा   (आलेख : परिकथा खगेन्द्र ठाकुर विशेषांक मई - अगस्त 2020 से साभार) -------------------------    बस ऐसे ही रहने दो मुझे अनदेखा , अनजाना मरने दो मुझे बिना शोक , बिना रोए छुपा लो इस दुनिया से जहाँ एक पत्थर भी न बताए कि मैं कहाँ हूँ लेटा कहाँ सोया ! - एलेकजेंडर पोप कई बार कविता की पंक्तियां कवि को देखने का एक सुनहरा अवसर देती हैं । कविताओं के माध्यम से कवि को देखना उसकी भीतरी दुनिया से गुजरने का एक सुखद सा अनुभव भी देता है । मैं खगेंद्र ठाकुर से बस एक बार मिला था । छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में सितंबर 2016 में आयोजित प्रगतिशील लेखक संघ के 16 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में । तब वे वहां आए हुए थे। अपनी बाहरी दुनिया में धोती कुर्ता पहना हुआ बिल्कुल एक साधारण सा आम आदमी , जिसे मेरी आँखें उत्सुकता से ठहरकर उस दिन देखती रहीं। मैंने मिलकर उनसे बात भी की । ऐसा बहुत कम होता है कि जो हम बाहर देखते हैं वह भीतर भी महसूस करते हैं , पर उनसे मिलकर मैंने जो बाहर से देखा वह भीतर से भी महसूस हुआ ।...