सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

गजेन्द्र रावत की कहानी फंगस

गजेन्द्र रावत लम्बे समय से कहानियाँ लिख रहे हैं । उनकी कहानियों में जीवन से जुड़ी वो छोटी-छोटी बातें अचानक दृश्यमान हो उठती हैं जिनमें मनुष्य की भीतरी दुनियां की परतें उधड़कर सामने आती हैं । ऐसा लगता है जैसे मनुष्य देखते-देखते भीतर से नंगा हो उठा है । पद प्रतिष्ठा के सहारे ही जीवन की नैय्या को पार लगाने वाला आदमी पद के जाते ही किस तरह भीतर से कुंठित होकर मृत हो जाता है इस कहानी में गजेन्द्र उसे शिद्दत से उठाते हैं । रिटायर होने के बाद भी आई.ए.एस. जैसे ओहदे से मिली बुरी आदतें आदमी का पीछा नहीं छोड़तीं और इन्हीं बुरी आदतों के चलते उसकी कुंठा उसे भीतर से गलाने लगती है जैसे उसकी समूची मनुष्यता पर फफूंद चढ़ गयी हो । गजेन्द्र जी की कई कहानियों को पढ़ने के बाद लगा कि उनकी कहानियों पर सघन रूप में बातचीत होनी चाहिए । गजेन्द्र जी का अनुग्रह के इस मंच पर स्वागत है ।   उनकी आंखों पर भारी-मोटा चश्मा था। चश्में के बाहर से दोनों आँखें काँच की छोटी-छोटी डिब्बियों में बंद पानी के बुलबुले-सी कांपती प्रतीत होती थी। जरूर उन्हें किसी  की भी आकृति धुंधली , टिमटिमाती-सी दिखाई देती होगी ? बस अनुमान भर

रोहित ठाकुर की कविताएँ

'लावारिश लाशें बहती हैं पुल के नीचे, पुल स्तब्ध खड़ा रहता है ' युवा पीढ़ी के कवियों में रोहित ठाकुर बहुप्रकाशित और बहुपठित कवि हैं। उनके स्वभाव की विनम्रता उनकी कविताओं में भी जगह-जगह महसूस होती है । ऐसा भी लगता है कि लोक जीवन से दूर होती संवेदना को एक बेचैनी के साथ उनकी कवितायेँ पुनरस्थापित करने की जुगत में पाठकों से आत्मिक संवाद करती हैं ।उनकी कविताओं में जीवन की विद्रूपताओं के प्रति प्रतिरोध का स्वर भाषायी आक्रोश के साथ भले ही नहीं गूँजता पर उस प्रतिरोध के स्वर को सकारात्मक रूप में वे एक अलग तरह से चित्रित करने का प्रयास करते हैं । इस प्रयास में उनके रोजमर्रा के जीवन में शामिल जो आसपड़ोस है, जो प्रकृति है, और उनकी संगति में वहां से प्राप्त उनके जो तरल अनुभव हैं,उनकी जो सूक्ष्म दृष्टि है ,वे सभी उनकी कविता में अपनी-अपनी भूमिका में एक कारीगर की तरह सक्रिय नजर आते हैं। दुनियां को पुल की तरह कवि का देखना हमें विस्मित करता है । रोहित की कविता की पंक्ति 'लावारिश लाशें बहती हैं पुल के नीचे,   पुल स्तब्ध खड़ा रहता है ' को अगर संवेदना की आँख से देखने की कोशिश हो  तो यह